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मोहाली3 घंटे पहले
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हर साल की तरह इस साल भी आतिशबाजी और पटाखे चलाने वाले लोग इसकी चपेट में आकर घायल हुए। शहर और आसपास के एरिया से 15 लोग मोहाली फेज 6 सिविल अस्पताल देर रात पहुंचे। इनमें 3 बच्चे भी शामिल थे जिनकी उम्र 2 से लेकर 6 साल के बीच थी। अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर (एसएमओ) डॉ विजय भगत ने बताया कि दिवाली की रात आतिशबाजी से घायल होने वाले मरीजों के इलाज के लिए पहले से ही पुख्ता इंतजाम किए गए थे। देर रात तक अस्पताल में बर्न केस आते रहे।
जिनका अस्पताल में मौजूद स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ने तुरंत मौके पर इलाज किया। अस्पताल में जो 15 मरीज आए थे उनमें आई इंजरी और हेड इंजरी के मामले शामिल थे। गनीमत रही कि किसी के साथ भी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और जो भी इंजरी के केस आए थे वह सभी माइनर इंजरी थे और उनके लिए न तो किसी सर्जरी की जरूरत पड़ी और न ही किसी को रेफर करने की जरूरत पड़ी। सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि दिवाली की रात को जो अस्पताल में बर्न केस आए थे उसमें से 12 लोग एडल्ट थे जिनमें से 7 को आई इंजरी हुई।
आतिशबाजी चलाते हुए आग की चिंगारियां इन लोगों की आंखों में गई थी जिसके चलते उनके परिजनों द्वारा उन्हें अस्पताल लाया गया था। जिनकी मौके पर आई वॉश करके उन्हें आई ड्रॉप्स दिए गए। जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया गया। इसके अलावा 5 लोग थे जिनके पटाखे जलाते हुए हाथ जल गए थे। उन्हें भी मौके पर तुरंत ट्रीटमेंट मुहैया करवा घर भेज दिया गया।
3 बच्चे भी हुए आतिशबाजी के कारण जख्मी
सिविल अस्पताल में दिवाली की रात जो बर्न केस आए उसमें 3 बच्चे भी शामिल थे। घायल बच्चों में एक बच्चा 2 साल एक 4 साल और एक 6 का था। इनमें से 2 बच्चों को तो हेड इंजरी हुई थी, जबकि 1 बच्चे को हेड इंजरी आई थी। लेकिन गनीमत यह रही कि इन बच्चों को कोई गंभीर चोट नहीं आई जिसके चलते इनकी जान को कोई खतरा नहीं हुआ। यह हादसे भी तभी हुए क्योंकि इन बच्चों के परिजन उस समय उनके साथ मौजूद नहीं थे जिस समय यह पटाखे जला रहे थे।
शहर में पूरी रात घूमती रही फायर ब्रिगेड
दिवाली की रात जहां सभी लोग अपने-अपने परिवारों के साथ आतिशबाजी करने और त्योहार मनाने में व्यस्त थे वहीं फायर ब्रिगेड कर्मचारी पूरी रात शहर में लगी अलग-अलग स्थानों पर आग को बुझाने के लिए घूमते रहे। फायर ऑफिसर मोहन लाल ने बताया कि दिवाली की रात शहर में 7 जगह आग लगने की कॉल आई थी। जिसमें से सेक्टर-68 एक मकान में आग लगी थी जिसे फायर ब्रिगेड ने कुछ ही समय में मौके पर पहुंचकर कंट्रोल कर लिया। इसके अलावा जो बाकी अन्य कॉल आई वह खाली स्थान और खाली प्लॉट में पड़े घास फूस तथा अन्य लकड़ी के फट्टों में लगी थी। इन स्थानों पर भी फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर साथ के साथ काबू पा लिया था। जिसके चलते दिवाली की रात शहर में कहीं पर भी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।
रात 1:30 बजे तक होती रही आतिशबाजी
सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार जिला प्रशासन ने जिले में दीवाली की रात आतिशबाजी करने के लिए रात को 8:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक का समय निर्धारित किया था। इसी के साथ जिला प्रशासन द्वारा यह भी कहा गया कि अगर कोई भी व्यक्ति इस समय से पहले या फिर बाद में आतिशबाजी करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन दीवाली की रात जिले में लोग देर रात करीब 1:30 से 2 बजे तक आतिशबाजी करते हुए नजर आए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिले के किसी भी पुलिस स्टेशन में एक भी व्यक्ति के खिलाफ देर रात तक आतिशबाजी चलाने और जिला प्रशासन के आदेश न मानने के तहत कोई केस दर्ज नहीं हुआ।
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