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- Spinal Injury Occurred In An Accident 21 Years Ago, Now Professor Pyarelal Is Roaming From Village To Village On Wheelchair
हिसारएक घंटा पहलेलेखक: रीतू लांबा
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- हिसार के गांव गंगवा के राजकीय सीसे. स्कूल में प्राध्यापक काे राष्ट्रीय श्रेष्ठ कर्मचारी पुरस्कार के लिए चुना
हौसले बुलंद हो तो जिंदगी में बड़ी बाधाएं भी आपको कामयाबी पाने से रोक नहीं सकती हैं। ऐसे ही मिसाल बने हैं ढाणी दरियापुर के प्राध्यापक प्यारेलाल। गंगवा गांव के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल में प्राध्यापक प्यारेलाल काे राष्ट्रीय श्रेष्ठ कर्मचारी पुरस्कार के लिए चुना गया है, यह पुरस्कार उन्हें चलन अक्षमता कैटेगरी में दिया जा रहा है। 3 दिसंबर काे विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाएगा।
बात साल 2000 की है। सड़क दुर्घटना में स्पाइनल इंजरी हुई ताे प्यारेलाल काे सालभर बिस्तर पर रहना पड़ा। लगा वक्त कुछ ठहर सा गया है। ठीक हुए ताे पांवाें ने साथ नहीं दिया। मगर हाैसला अडिग रहा, व्हीलचेयर सहारा बनी और वह शिक्षा की अलख जगाने गांव-गांव निकल पड़े। इसके लिए वे सामाजिक संस्था ईच वन टीच वन से जुड़े। व्हीलचेयर के सहारे उन्होंने जिले के अनेक गांवाें में साक्षरता अभियान, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पर्यावरण संरक्षण जैसे अभियान बड़े स्तर पर चलाए।
लाेग उनकी मुहिम से जुड़ते चले गए। आम जनता को जागरूक करने और जरूरतमंद बच्चाें काे अपने खर्च पर पढ़ाने वाले सामाजिक संस्था ईच वन टीच वन के संयोजक और प्राध्यापक प्यारेलाल को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ कर्मचारी के रूप में चुना है। हरियाणा से केवल प्यारेलाल काे ही श्रेष्ठ कर्मचारी के रूप में चुना गया है।
पढ़िए… प्यारेलाल के संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी
मैंने 1999 में शिक्षक के पद पर जॉइन किया था। फरवरी 2000 में दिल्ली से शादी समाराेह में शामिल होने के बाद अपने दाेस्ताें के साथ कार से वापस आ रहा था। इसी बीच सूमाे कार से हमारा एक्सीडेंट हुआ। एक साल तक बेड पर रहा। मगर उस वक्त मैंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद हर बाधा को सफलता की सीढ़ी मानते हुए हमेशा हौसले के साथ आगे बढ़ता रहा। एक साल बाद यानि कि 2001 में जब मैं व्हीलचेयर पर आया, ताे मैं खुद को मजबूत कर शिक्षण कार्य और सामाजिक संस्थाओं से जुड़ा और कार्य किए। 21 साल के शिक्षण कार्य में बहुत कुछ सीखने काे मिला। मैंने गांव-गांव जाकर शिक्षा अभियान चलाया और शिक्षा से अछूते बच्चाें काे जागरूक कर मुख्य धारा से जाेड़ा। -प्यारेलाल, प्राध्यापक, गवर्नमेंट सीसे स्कूल गंगवा और संयोजक, सामाजिक संस्था ईच वन टीच वन।
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