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जोधपुर15 मिनट पहलेलेखक: पूर्णिमा बोहरा
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जोधपुर ब्लू सिटी इन दिनों फिर से नीले रंगों में रंगती नजर आ रही है। मेहरानगढ की तलहटी में बसे जोधपुर के नीले घर व दीवारों के चलते इसे ब्लू सिटी की पहचान दी है। शहर की सभी दीवारें पहले सिर्फ बलू थी। अब इन नीली दीवारों पर राजस्थान की संस्कृति का चित्रण इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा है। जोधपुर के पचेटिया हिल्स पर स्थित पंचमुखा बालाजी के रास्ते व मकानों को ब्लू रंग से रंगने के बाद इस पर राजस्थानी परम्परा व संस्कृति को इन तस्वीरों में देखें।

राजस्थान में धान को पत्तथर की घट्टी में पीसने की परम्परा थी। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश घरों में इसी तरह घट्टी पर दाल आदि पीसती महिलाएं नजर आती है। इसी परम्परा को दीवर पर पेंटिंग के माध्यम से जिंदा रखने की कोशिश की गई है। आने वाली पीढ़ी भी जो शहरों में रहती है उन्हें भी यह पेंटिंग राजस्थान की संस्कृति और परम्परा से रुबरु करवा रही है।

सिटी पुलिस क्षेत्र में एक घर की पिछली दीवार की खिड़कीयों के बीच बनी यह पेंटिंग राजस्थानी पुरुष के पहनावे रहन-सहन का सुंदर चित्रण प्रस्तुत कर रही है। इस क्षेत्र में राजस्थानी झलकियां अलग ही आनंद का अनुभव करवा रही है। लाल पगड़ी, बड़ी मूछों में चित्रित ग्रामीण पुरुष की पेंटिंग सभी को आकर्षित कर रही है।

जोधपुर में पहले सिर्फ ब्लू वॉल थी लेकिन अब इन वॉल पर बनी पेंटिंग ने इस क्षेत्र को देश-विदेश में अलग पहचान दिला दी। हालांकि अभी विदेशी पर्यटकों का जोधपुर पहुंचना शुरु नहीं हुआ है लेकिन देशी पर्यटक भी अब इस वॉल पेंटिंग की दीवार को खोजते हुए सिटी पुलिस पहुंच रहे हैं।

ब्लू वॉल पर सुंदर रंगों के मिश्रण से बनी बोलती पेंटिंग हर किसी को आकर्षित कर रही है। जोधपुर वासी भी अब सिटी पुलिस क्षेत्र में आकर यहां सेल्फी ले रहे हैं।

मेहरानगढ़ की पहाड़ी से सटी यह दीवार राजस्थान की मिनी झांकी प्रस्तुत कर रही है। दीवार पर बना बैलगाड़ी की पेंटिंग ग्रामीण परिवेश की झलक प्रस्तुत कर रहा है। बैल गाड़ी पर अपने परिवार को ले जाता किसान ढेढ ग्रामीण परम्परा की झलक दिखा रहा है। नीले मकानों और सुंदर पेंटिंग से घिरा सिटी पुलिस का यह इलाका अब देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है।

पचेटिया हिल्स की दीवारें राजस्थान के हर परम्परा का बखूबी चित्रण पेश कर रही है। करीब 24 लाख रुपए खर्च कर नगर निगम उत्तर की ओर से सजाइ गई यह दीवारें राजस्थानी रहन-सहन, परम्परा और संस्कृति का खूबसूरत झांकि है। यहां आकर पर्यटक राजस्थान के हर पहलु से रुबरु होगा।

राजस्थान में संगीत का अपना एक अलग महत्व है। ढोलक सितार के साथ राजस्थान के संगीत के प्रति प्रेम की झलक भी इन दिवारों पर देखने को मिलेगी। जोधपुर घूमने आए पर्यटक इस दीवारों में मारवाड़ के हर रंग को देख सकेंगे।

दीवार पर चित्रण की मेवाड़ी शैली में यह पेंटिंग बनाइ गई है। जिसमें बड़ी मूछों में पुरुष पगड़ी व कानों में कुंडल पहने दिखाया गया है। दाम्पत्य जीवन की छवी प्रस्तुत करती यह पेंटिंग हर किसी को आकर्षित करती नजर आ रही है। अचकन पहने पुरुष जिसके गले में हाथों में भी आभुषण को चित्रित किया गया है। वहीं महिला का लहंगा व पारदर्शी ओढ़नी, छोटा कद, ठुड्डी पर तिल, मछली जैसी आँखे, सरल भावयुक्त चेहरा मारवाड़ में मेवाड़ी चित्रकारी की झलक दिखा रही है।

मारवाड़ में घर के बाहर कवलें आळे यानी छोटी सी जगह जहां दीपक रखा जाए की परम्परा है। इस परम्परा को पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया गया है। पचेटिया हिल्स के रास्ते में दीवार पर बनी यह पेंटिंग मारवाड़ की इस परम्परा को दर्शाती नजर आ रही है। कवलें आळों को कोरनी व मांडने से सजाने की भी परम्परा है। जिसे बखूबी दर्शाया गया है।

राजपूती शैली की यह चित्रकारी में पर्यावरण प्रेम को भी दर्शाया गया है। राष्ट्रीय पक्षी मोर को दाना देते हुए महिला की यह पेंटिंग रजवाड़े की झलक प्रस्तुत कर रही है। बड़ी बात तो यह है कि इस दीवार पर चित्रकार ने इतनी बारिकी से किया गया कार्य आकर्षित कर रहा है। महिला के आभुषण, परिधान हाथों में मेंहदी आदि से रजवाड़ी झलक को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।

राजस्थाथी परिधान व घूंघट में मारवाड़ की महिलाओं के पहनावे और रहन-सहन की झलक साफ देखने को मिल रही है। विदेशी पर्यटकों के साथ देशी पर्यटक भी मारवाड़ की परम्परा को दर्शाती इस दीवर को देख आकर्षित होंगे।

राजस्थान की पारंम्परिक संगीत व नृत्य की छवी प्रस्तुत करती यह पेंटिंग
फोटो-शिव वर्मा।
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