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- 2 Thousand Fine For Selling A Carry Bag Of 3 Rupees 9 Complaints Came Against The Branded Store; Consumer Forum Said: The Price Included In The Profit Of The Product, It Is Wrong To Charge A Separate Price
जालंधर15 मिनट पहले
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प्रोडक्ट के प्रॉफिट में ही कैरी बैग की कीमत भी शामिल होती है, ऐसे में उसके लिए अलग से रुपया वसूलना गलत है, इस टिप्पणी के साथ जालंधर के जिला कंज्यूमर फोरम ने लाजपत नगर स्थित एक ब्रांडेड स्टोर के खिलाफ 9 शिकायतों का निपटारा कर दिया। हर शिकायत में फोरम ने स्टोर को 2-2 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जिसमें 500 रुपए मानसिक हर्जाना, 500 रुपए केस खर्च और एक हजार रुपए फोरम के लीगल एड अकाउंट में जमा कराने को कहा। इसके लिए फैसले की कॉपी मिलने के बाद 45 दिन का वक्त दिया गया है, अन्यथा ब्याज समेत रुपए देने पड़ेंगे।
यह थी 9 शिकायतें, सामान की खरीददारी के बावजूद कैरीबैग के अलग रुपए लिए
छोटी बारादरी पार्ट वन के रहने वाले मनीत अरोड़ा से स्टोर में कैरीबेग के 3 रुपए वसूले गए। इसी तरह सुखदीप कौर ने 602 का सामान खरीदा तो उनसे भी 3 रुपए लिए गए। लीना पुरी निवासी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू, नजदीक चर्च ने 552 रुपए का सामान खरीदा लेकिन उनसे भी कैरीबैग के 3 रुपए वसूले गए। भरत पुरी निवासी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू ने 499 रुपए का सामान खरीदा था, उनसे भी 3 रुपए लिए गए। छोटी बारादरी की सुखदीप कौर ने 3,604 की शॉपिंग की लेकिन उनसे कैरीबैग के 7 रुपए वसूले गए। इसी तरह हरप्रीत सिंह संधू ने 999 रुपए, ब्रजेश कुमार निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी ने 502 और अनुज पांडे निवासी गुरु राम दास नगर ने 1,202 रुपए का सामान खरीदा लेकिन उनसे भी कैरीबैग के 3 रुपए वसूले गए।
विरोध करने पर कर्मचारी ने मिसबिहेव किया
शिकायत करने वालों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने कैरीबैग के रुपए वसूलने का विरोध किया तो उनके साथ कर्मचारी ने मिसबिहेव किया। जो बैग उन्हें बेचा गया, उसमें भी कंपनी ने अपनी मशहूरी कर रखी थी। उन्होंने कहा कि सभी कस्टमरों से इसी तरह रुपए लिए जा रहे हैं, जो सरासर अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है।

स्टोर ने कहा : ऐसा कोई कानून नहीं कि मुफ्त कैरीबैग देना जरूरी
फोरम के नोटिस पर स्टोर ने जवाब दिया कि कस्टमर की सहमति के बाद ही चार्ज लिए जाते हैं। कस्टमर चाहे तो घर से अपना कैरीबैग ला सकते हैं। स्टोर ने प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रूल्स 2011 के रूल 10 का हवाला देते हुए कहा कि उसमें स्पष्ट है कि रिटेलर की तरफ से कस्टमर को फ्री कैरीबैग नहीं दिया जाएगा। यह म्यूनिसिपल अथॉरिटी को चाहिए कि वो रीसाइक्लेबल प्लास्टिक बैग का रेट तय करे। हम तो रीयूज कैरीबैग का इस्तेमाल कर पर्यावरण को साफ रखने में योगदान दे रहे हैं। वो तो लोगों से अपील कर रहे हैं कि अपना कैरीबैग लेकर आएं। ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसमें ये लिखा हो कि दुकानदार को ग्राहक को मुफ्त कैरीबैग देना जरूरी है।

पढ़िए … जिला कंज्यूमर फोरम की तल्ख टिप्पणियां
- प्लास्टिक वेस्ट रूल्स का रिकॉर्ड नहीं दे सका स्टोर : फोरम ने मामले की सुनवाई की तो प्लास्टिक वेस्ट रूल्स के बारे में स्टोर कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर सका।
- कैरीबैग लाने की छूट पर फोरम की असहमति : लोगों को अपना कैरीबैग लाने की अपील के दावे पर कंज्यूमर फोरम ने असहमति जताई। फोरम ने कहा कि स्टोर कभी भी कस्टमर को अपना कैरीबैग लेकर अंदर नहीं आने देते। अगर कस्टमर को यह छूट हो तो वो कभी भी कैरीबैग खरीदने के लिए अपनी सहमति नहीं देगा।
- कैरीबैग लेना कस्टमर की इच्छा नहीं मजबूरी : फोरम ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि कैरीबैग लेना कस्टमर की इच्छा पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि एक तरफ कस्टमर को दूसरी दुकान से खरीदे सामान के साथ अपना कैरीबैग नहीं लाने देते, दूसरी तरफ स्टोर से लेने को वैकल्पिक बता रहे हैं तो यह सही नहीं है।
- पर्यावरण की इतनी चिंता तो मुफ्त कैरीबैग दो : अगर स्टोर को पर्यावरण की इतनी चिंता है तो वो फ्री में ऐसे कैरीबैग लोगों को दें। कैरीबैग की कीमत सभी प्रोडक्टों के प्रॉफिट में शामिल रहती है।
- 15 आइटम के लिए अलग-अलग कैरीबैग लाए कस्टमर: फोरम ने कहा कि हम उम्मीद नहीं कर सकते कि हर सिंगल आइटम के लिए कस्टमर अलग कैरीबैग लेकर आने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर अगर कस्टमर मैक्रोनी, डिटॉल, साबुन, टूथपेस्ट, सेविंग क्रीम, पेन, पेंसिल आदि डेली यूज की 15 आइटम अलग-अलग स्टोर से लेकर आएगा तो क्या वह घर से सबके लिए अलग-अलग कैरीबैग लेकर आएगा। अगर कस्टमर को पहले खरीदे सामान के साथ अपना कैरीबैग स्टोर के अंदर नहीं लाने दिया जाएगा तो वह इन्हें हाथ में लेकर नहीं जाएगा।
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