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कानपुर38 मिनट पहले
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फाइल फोटो
शहर में बढ़ते बुखार और डेंगू के प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है। इसी क्रम में मंगलवार से हैलट अस्पताल में एक बार फिर से पैथोलॉजी में होने वाली जांचों की सुविधा दोबारा से शुरू होने जा रही है। हैलट और उर्सला दोनों ही अस्पतालों में बुखार-डेंगू के मरीजों और यह भर्ती मरीजों की एडवांस जांचों समेत प्री सर्जिकल जांचें अब कल से शुरू जाएगी।
मरीजों को बाहर होती थी जांच…
आपको बता दें अभी तक यहां आरहे मरीजों और भर्ती मरीजों की कई जांचों के लिए बाहर जाने की जरूरत पड़ती थी, लेकिन कल से ज्यादातर जांचे हैलट और उर्सला में ही हो जाया करेगी। इससे पहले हैलट में 24 घंटे जांच की सुविधा दी जा रही है। यहां भी करीब 20 दिनों से रीजेंट की कमी से कई जांचें ठप चल रही थी। सोमवार को भी एजीपीटी की जांच नहीं हुई मगर अन्य जांचों की सुविधा मरीजों को उपलब्ध करा दी गई। हॉरमोन और बायोप्सी की जांचें भी पटरी पर लौटी रही हैं। हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो आरके मौर्या का कहना है कि मरीजों के लिए जरूरी सभी जांचें अस्पताल में उपलब्ध हैं। वहीं उर्सला के सीएमएस डॉ. एके निगम के मुताबिक मरीजों को किसी जांच के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है। प्रोफाइल जांचें भी अब यहां हो सकेगी।
कांशीराम, उर्सला में 24 घंटे जांच की सुविधा नहीं
शहर में बने एडवांस कांशीराम ट्रामा सेंटर पर अभी तक 24 घंटे जांच की सुविधा नहीं है, इसी परिसर में सीएमओ का दफ्तर भी है, सोमवार को जब इस बात पर सवाल किया तो उन्होंने बताया, हम लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है कि जल्द से जल्द यहां पर यह सुविधा शुरू की जा सकेगी और मरीजों को बाहर की पैथोलॉजी में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उर्सला, डफरिन और केपीएम में भी जांच की सुविधा नहीं…
उर्सला, डफरिन और केपीएम में भी अभी 24 घंटे जांच की सुविधा मरीजों को उपलब्ध नहीं है। डफरिन अस्पताल में तो अल्ट्रासाउंड कराने के लिए महिलाओं को 15 से 20 दिन वेट करना पड़ता है, यह सब जानते हुए भी प्रशासन इस मामले में कुछ नहीं कर रहा है। अस्पतालों में स्टाफ की कमी से मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। उर्सला में कुछ दिनों पूर्व 24 घंटे जांच की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी मगर लेकिन अभी वह शुरू नहीं हो सकी। यहां भी 12 बेड आईसीयू और 52 बेड इमरजेंसी में मरीज रहते हैं। जांचों की जरूरत 24 घंटे होती है। उर्सला से एबीजी जांच के लिए मरीजों को बाहर भेजा जाता है।
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