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करनालएक मिनट पहले
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हरियाणा के करनाल में किसानों ने जिला प्रशासन से बातचीत विफल होने के बाद अब जिला सचिवालय का घेराव करने का ऐलान कर दिया है। किसानों ने अनाज मंडी से सचिवालय की ओर कूच कर दिया है। सचिवालय के घेराव को निकले किसानों को पुलिस ने हाईवे पर तीन नाके पार करने के बाद रोक लिया।
किसानों के आंदोलन के चलते हरियाणा के 5 जिलों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क SMS सर्विस बंद कर दी गई हैं। गृह सचिव-1 डॉ. बलकार सिंह के आदेश के अनुसार, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत और जींद में सोमवार रात 12 बजे से मंगलवार रात 11:59 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद रहेगी।
LIVE अपडेट्स
- पुलिस ने किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव समेत कुछ किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया है।
- किसानों ने उन्हें गिरफ्तार कर ले जाने के लिए बुलाई गईं बसों की हवा निकाल दी है।
पैरामिलिट्री फोर्स समेत 40 कंपनियां तैनात
करनाल के SP गंगाराम पुनिया ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस पूरी मुस्तैद है। धारा-144 लागू है। किसानों को मिनी सचिवालय तक पहुंचने से रोकने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स समेत सुरक्षाबलों की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं। लघु सचिवालय समेत 18 जगहों पर नाके लगाए गए हैं। जीटी रोड और शहर से लघु सचिवालय तक पहुंचने वाले रास्तों को ब्लॉक किया गया है।

घरौंडा में हुई महापंचायत में गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने घेराव का आह्वान किया था।
किसानों की गिरफ्तारी के लिए 40 बसें बुलाईं
नमस्ते चौक पर लगे चौथे नाके पर प्रशासन ने 40 रोडवेज बसें बुला ली। किसान गिरफ्तारी के लिए तैयार हो गए। वहीं, आधे से ज्यादा किसान फ्लाईओवर से होकर नमस्ते चौक से आगे निकल गए।
- इससे पहले, सोमवार दोपहर को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेताओं और करनाल के प्रशासनिक अफसरों के बीच मिनी सचिवालय में बैठक हुई थी, जो बेनतीजा रही। एक घंटे चली इस बैठक में जिला प्रशासन की ओर से डीसी निशांत कुमार यादव, एसपी गंगाराम पुनिया और किसानों की ओर से भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जिला प्रधान जगदीप औलख समेत 6 सदस्य शामिल हुए।
- प्रशासनिक अफसरों के साथ बातचीत किसानों की बातचीत हुई। इस दौरान किसान नेताओं ने तत्कालीन SDM आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग की। अफसरों ने इससे इनकार कर दिया। उसके बाद किसान नेता बैठक से उठकर बाहर आ गए और अनाज मंडी की ओर निकल गए।
- बैठक के बाद चढ़ूनी ने कहा कि जिला प्रशासन ने 30 अगस्त के पुलिस लाठीचार्ज में मारे गए किसान सुशील काजल के बेटे को डीसी रेट पर नौकरी देने का ऑफर किया है, जो स्वीकार करने योग्य नहीं है। उनकी अन्य मांगों पर जिला प्रशासन ने कोई चर्चा नहीं की
पिछली दो बैठकों में भी बाहर आ गए थे किसान नेता
इससे पहले दो दौर की वार्ता के बाद चढूनी-टिकैत समेत 11 सदस्य उठकर कुछ देर के लिए बाहर आए थे। बाहर आकर किसान नेताओं ने कहा था- जो हम मांग रहे, वह प्रशासन नहीं दे रहा और जो प्रशासन दे रहा, वह हम नहीं ले रहे।
पहली वार्ता के बाद भी एक ब्रेक भी लिया गया था। दूसरे दौर की वार्ता के बाद भी जब बात नहीं बनी तो सभी किसान नेता उठकर बाहर आ गए। हालांकि, कुछ ही देर बाद प्रशासन ने किसान नेताओं को तीसरे दौर की वार्ता के लिए भीतर बुला लिया। अब तीसरे दौर की वार्ता भी विफल हो गई है।

8 किसान संगठनों को कोर्ट का नोटिस
करनाल जिला कोर्ट की तरफ से सोमवार को 8 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया गया। नोटिस में गुरनाम सिंह चढ़ूनी ग्रुप, अजय राणा ग्रुप, रतनमान ग्रुप, गन्ना समिति, भाकियू, भाकिसं वगैरह को आदेश दिया गया है कि वह कानून को हाथ में न लें और न ही किसी सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं। कोर्ट की ओर से करनाल के डीसी व एसपी को भी नोटिस जारी किया गया कि महापंचायत की वजह से आमजन को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। इससे जुड़ी उचित व्यवस्था की जाए।
बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज : कब क्या हुआ
पुलिस ने 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए थे। आरोप है कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल ने अगले दिन दम तोड़ दिया था।
30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें की थी। इनमें मृतक किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा व एक मेंबर को सरकारी नौकरी देना, घायल किसानों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा और लाठीचार्ज के आदेश देने वाले SDM, DSP व दूसरे पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग शामिल थी।
भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर 6 सितंबर तक उनकी ये तीनों मांगे पूरी नहीं की गई तो 7 सितंबर को करनाल में दोबारा महापंचायत कर मिनी सचिवालय का घेराव किया जाएगा, लेकिन 6 सितंबर को हुई बैठक बेनतीजा रही। परिणामस्वरूप किसान प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
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