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चंडीगढ़एक घंटा पहले
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स्टडी के मुताबिक किशोर अवस्था
किशोर अवस्था में स्टूडेंट्स के बीच बुलिंग आम बात है।इसका प्रसार देखने के लिए PGI ने एक नई स्टडी की है। स्टडी में पाया गया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 4 में से एक स्टूडेंट इसका शिकार होता है। इस रिसर्च को 9 से 15 साल (6वीं से 10वीं क्लास) के 667 स्टूडेंट्स पर किया गया है जिसमें सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 359 और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 308 स्टूडेंट्स शामिल हैं।
PGI चंडीगढ़ की नई स्टडी के मुताबिक बुलिंग(बदमाशी) स्टूडेंट्स में सुसाइड करने की प्रवृति को बढ़ावा देती है।ये वाकई में विकट चिंता का विषय है।इस स्टडी के मुताबिक किशोर अवस्था के स्टूडेंट्स को जब अभिभावक और शिक्षक उन बच्चों को इग्नोर या साथ खेलने के लिए मना करते हैं जो उनके साथ बदमाशी करते हैं, तो उनमें सुसाइड की प्रवृति विकसित होनी शुरू हो जाती है।
स्टूडेंट्स में भावनात्मक,आत्म सम्मान और स्वभाव संबंधित परेशानियों को मापा गया
ऑल्वियस बुली/विक्टिम कोशनरी (OB/VQ) का इसमें इस्तेमाल किया गया है। रोजनबर्ग सेल्फ एस्टीम स्केल, स्ट्रेंथ्स एंड डिफिकल्टीज कोशनरी जैसे मानकों के इस्तेमाल से स्टूडेंट्स में भावनात्मक,आत्म सम्मान और स्वभाव संबंधित परेशानियों को मापा गया।
डॉक्टरों के लिए इस रिसर्च के नतीजे बेहद हैरानीजनक रहे क्योंकि स्कूल में 26.5%(16% जुल्मों,5.2 % अपराध और 4.3% बुली विक्टिम ) किशोर अलग-अलग तरह की बुलिंग का शिकार थे। इनमें 55.1% के साथ वर्बल बुलिंग सबसे सामान्य थी, 32.7% फिजिकल और 25.2% रिलेशनल बुलिंग तो 2.7 % साइबर बुलिंग के शिकार थे। वहीं 44% ने बताया कि स्कूल में मौजूद व्यस्कों ने बुलिंग को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
स्टडी करने वाले ऑथर्स में से एक PGI के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसन में प्रोफेसर डाॅ. मधु गुप्ता के मुताबिक स्कूल, पार्क और यहां तक कि ऑनलाइन क्लासेस में पढ़ाई के दौरान होने वाली बुलिंग के कारण स्टूडेंट्स में सुसाइड की प्रवृति बन जाती है।बुलिंग को रोकने के लिए हालांकि साउथ ईस्ट एशियाई देशों में तो कई इंटरवेंशन प्रोग्राम हैं लेकिन भारत में नहीं। इसलिए हमनें स्कूल स्टूडेंट्स के लिए स्टॉप बुलिंग-स्कूल इंटरवेंशन प्रोग्राम(SB-SIP) डिजाइन किया है। इस प्रोग्राम को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशंस और द्विभाषा में बताया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्कूल खुलते ही संबंधित अथॉरिटीज और स्कूल के प्रिंसिपल्स से मिलकर इसे स्कूल में शुरू करेंगे।
तीन स्तर पर होगा प्रोग्राम का संचालन
डॉ.मधु गुप्ता के मुताबिक इसका संचालन 3 स्तरों पर होगा जिसमें व्यक्ति विशेष(स्टूडेंट्स), रिलेशनशिप (पेरेंट्स और टीचर्स) और स्कूल लेवल शामिल हैं। इसका मकसद स्टूडेंट्स की बुलिंग बिहेवियर और विक्टिमाइजेशन के प्रति जानकारी बढ़ाना,इसके असर और इससे बचने के लिए उनके कौशल को बढ़ाना है।
- पेरेंट्स के मॉड्यूल में बुलिंग अवेयरनेस सेशंस और रणनीति होगी कि कैसे बुलिंग के शिकार अपने बच्चे को मैनेज करें।
- टीचर्स के मॉड्यूल में क्लास में सुरक्षित माहोल, बुलिंग की अफ्वाहों पर कैसे जवाब दें और कैसे बुलिंग को मौके पर रोका जाए, इसपर सेशंस होंगे।
- स्कूल लेवल की रणनीति स्कूल प्रशासकों को दी जाएगी जिन्हें बुलिंग से संबंधित परेशानियों के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा।बुलिंग के विरुद्ध स्कूल के नियमों को इंट्रोड्यूस करने के लिए एक एंटी-बुलिंग कमेटी स्थापित की जाएगी।
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