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लुधियाना7 घंटे पहले
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चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा की राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदों के साथ हुई बैठकें खत्म हो गई। बैठकों के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बलवीर सिंह राजेवाल ने पत्रकारों को संबोधित किया है। राजेवाल ने कहा कि सभी पार्टियों से अपील की गई है कि जब तक किसानों का संघर्ष चल रहा है, तब तक वे रैलियां नहीं करें। इस पर शिरोमणि अकाली दल बादल और कांग्रेस ने सहमति नहीं जताई है। इन पार्टियों ने नुमाइंदों ने कहा कि वह इस संबंधी अपनी पार्टी के साथ बात करके ही बता सकते हैं। जबकि बाकी सभी पार्टियों ने इस पर सहमति दी है।
राजेवाल ने कहा कि जो पार्टी उनका समर्थन नहीं करती, तो वह किसान हितैषी नहीं हो सकती है। इसके अलावा किसान संगठनों ने चुनाव घोषणा पत्र को लीगल डॉक्यूमेंट बनाने के लिए भी कहा है। कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा यह कहे जाने कि संयुक्त किसान मोर्चा उनके साथ चलकर संसद के बाहर धरना दें, पर किसान मोर्चा ने प्रतिक्रिया दी है कि जितने भी विधायक और सांसद हैं, वह किसानों के पक्ष में संसद के बाहर जाकर धरना दें। किसान संगठनों ने राजनीतिक पार्टियों ने यह भी मांग की है कि वह संघर्ष के दौरान दर्ज हुए सभी आपराधिक मामले रद्द करवाएं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के बलवीर सिंह राजेवाल व अन्य।
सुखबीर बादल के प्रोग्राम पर अभी भी संश्य
शिरोमणी अकाली दल बादल के 100 दिन 100 विधानसभा क्षेत्र ‘गल पंजाब दी’ के तहत रोके गए कार्यक्रमों पर फिर से संश्य है। किसान संगठनों के समक्ष भी यही बात रखी गई थी कि वह कैसे लोगों के बीच नहीं जा सकते हैं, यह उनका हक है। किसान संगठनों की तरफ से इस पर सहमतf नहीं दी। इसके बाद ही शिरोमणी अकाली दल ने शनिवार को कोर कमेटी की बैठक बुलाई है और इसमें ही आगे का फैसला लिया जाएगा। पार्टी के सीनियर नेता महेशइंद्र गरेवाल ने कहा कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से की गई अपीलों पर कोर कमेटी की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
कांग्रेस नेता अपने कार्यक्रम कर रहे, उस पर भी लगे रोकः आप
आम आदमी पार्टी के नेता अमन अरोड़ा ने कहा कि अगर किसान कहेंगे कि उन्हें राजनीतिक रैलियां नहीं करनी चाहिएं तो वह रुकने को तैयार हैं। मगर सरकार अपने कार्यक्रम करेगी, तो वह भी तो चुनावी प्रोपेगेंडा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और अन्य मंत्री लगातार अपने कार्यक्रम कर रहे हैं। इस लिए आदेश सभी पर लागू होने चाहिएं। इस दौरान कांग्रेस की तरफ से मीटिंग करने आए नेताओं ने कुछ ज्यादा नहीं बोला। पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि अगली रणनीति पर बात हुई है। हमने अपने सुझाव दिए हैं और उन्होंने अपना एजेंडा दिया है।
किसानों की रैली वाले दिन अपना प्रोग्राम रद्द कर देंगेः अकाली दल
पहले चरण की बैठक में शिअद नेताओं ने किसान संगठनों से कहा है कि राजनीतिक तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर एक पॉलिसी बनानी चाहिए और उसी के आधार पर ही रैलियों पर रोक की बात होनी चाहिए। बैठक से बाहर आए प्रेम सिंह चंदूमाजरा और दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि बैठक के दौरान उनकी ओर से अपनी बात रखी गई है। उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक पार्टियां लोगों के बीच में नहीं जाएंगीं तो और क्या करेंगीं। उनकी ओर से किसानों को कहा गया है कि जब कभी भी किसानों की कोई रैली या मीटिंग होगी तो वह अपने कार्यक्रम रद्द कर सकते हैं। मगर वह लोगों के बीच जाना चाहते हैं। इसके अलावा किसान नेताओं को यह भी कहा गया है कि वह दिन व समय बात दें, अगर उन्हें कार्यकर्ताओं की जरूरत होगी तो वह भी भेजने को तैयार हैं।

राजनीतिक दलों से बैठक के दौरान चर्चा करते किसान मोर्चा के सदस्य।
राष्ट्रपति राज लागू करना चाहती है भाजपा, इस पर भी हुई चर्चाः चंदूमाजरा
चंदूमाजरा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है, इसीलिए 4 केंद्रीय मंत्रियों को यहां प्रभारी लगा दिया गया और राज्यपाल भी अपने अनुसार ही लगाया है। इसकी चिंता भी मीटिंग के दौरान जाहिर की गई। इसके लिए बीच का रास्ता निकालना होगा, ताकि वह अपनी बात भी लोगों के बीच में रख सकें और आपसी भाईचारा भी बना रहे।
क्या है वजह, किसान मोर्चा को क्यों करनी पड़ी बैठक
शिरोमणि अकाली दल बादल की तरफ से प्रदेश में जनसभाएं की जा रही हैं। इस दौरान सुखबीर सिंह बादल को किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। किसान कह रहे हैं कि सुखबीर सिंह बादल की रैलियों की वजह से गांवों में भाईचारक सांझ टूट रही है। इसका असर किसान आंदोलन पर भी पड़ रहा है। इसलिए इन्हें बंद कर देना चाहिए। जबकि सुखबीर सिंह बादल कह रहे हैं कि वह कोई जनसभाएं नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह तो लोगों की बात सुनने जा रहे हैं, ताकि सरकार बनने पर उसे पूरा किया जा सके। मोगा में हुए लाठीचार्ज के बाद सुखबीर सिंह बादल ने अपने कार्यक्रम 10 सितंबर तक के लिए टाल दिए थे। अब इस पर भी कोई फैसला हो सकता है। क्योंकि किसान संगठनों के हर सवाल का जवाब देने के लिए शिअद ने ही संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखा था।
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