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लुधियाना18 मिनट पहले
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लुधियाना के 4 अध्यापकों को टीचर्स डे पर सम्मानित किया गया है।
‘शिक्षक दिवस’ पर हर साल की तरह इस बार भी उन अध्यापकों को सम्मानित किया गया है, जिन्होंने नौकरी के साथ-साथ समाज के लिए उत्कृष्ट काम किया। लुधियाना जिले में भी 4 ऐसे अध्यापक सम्मानित किए गए हैं, जिन्होंने अपनी नौकरी को जिम्मेदारी समझा और इस दौरान सराहनीय काम भी किए। यही कारण है कि वे आज अकेले स्टूडेंट के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। उनकी मेहनत और समाज के प्रति जिम्मेदारी के लिए उन्हें प्रदेश स्तरीय समारोह के दौरान सम्मानित किया गया। चंडीगढ़ में हुआ यह समारोह यहां वर्चुअली आयोजित किया गया। लुधियाना में लघु सचिवालय के बचत भवन में इस कार्यक्रम का लाइव आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के सीनियर अधिकारी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल छपार के कंप्यूटर अध्यापक अमृतपाल सिंह, गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल नारंगवाल के अध्यापक बलविंदर सिंह, गवर्नमेंट मिडिल स्कूल गोसल के नवजोत शर्मा और गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेखेवाल के अध्यापक वरिंदरा परवीन को शॉल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है।

कंप्यूटर टीचर अमृतपाल सिंह।
अमृतपाल ने बच्चों की मांग पर वेस्ट मेटिरियल से बनाया था कंप्यूटर पार्क
अमृतपाल सिंह गांव छपार के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कंप्यूटर टीचर हैं। वह साल 2017 में एक कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेने के लिए गए थे। जिस जगह कॉम्पीटिशन में गए वहां पर एजुकेशन पार्क बना हुआ था। उनके एक स्टूडेंट ने एजुकेशन पार्क देखकर कहा कि सर क्या हम भी कंप्यूटर पार्क तैयार कर सकते हैं। इसके बाद अध्यापक अमृतपाल ने ठान ली और वेस्ट मटेरियल से कंप्यूटर पार्क तैयार कर दिया। यह प्रदेश का पहला पार्क था। वह अब अन्य स्कूलों की भी ऐसे पार्क तैयार करने में मदद कर रहे हैं। स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के अलावा विभाग के 2 और साहित्यिक 4 किताबें लिख चुके हैं। जल्द ही कंप्यूटर के विभिन्न भागों को आसानी से स्टूडेंट्स को याद करवाने के लिए किताब भी विभाग द्वारा जारी की जाएगी।

बलविंदर सिंह।
बलविंदर सिंह ने स्कूल का बाला वर्क खुद किया, 9 अन्य स्कूलों को भी दी सजावट
गांव नारंगवाल के गवर्नमेंट प्राईमरी स्कूल में अध्यापक बलविंदर सिंह बाला वर्क करते हैं। पहले अपने स्कूलों को इससे सजाया और अब नौ अन्य 9 स्कूलों में भी यही काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मेरे इस काम में मेरे परिवार का भी पूरा सहयोग रहा। मैं गवर्नमेंट स्कूल जोधां में काम कर रहा था। उस समय मेरी मां (स्वर्गीय मोहिंदर कौर) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। लेकिन मेरे परिवार ने ये सोच कर मुझे नहीं बताया कि मैं स्कूल की बेहतरी के लिए काम करने गया हूं। ये अवॉर्ड मेरे पेरेंट्स और बड़े भाई के सहयोग का नतीजा है। अब तक मैं 470 ऑनलाइन क्लासेस लगा चुका हूं। इंग्लिश मीडियम स्कूल से भी मेरे स्कूल में बच्चों ने एडमिशन ली है।

नवजोत शर्मा।
नवजोत शर्मा की बाजू टूटी, लेकिन स्टूडेंट्स की पढ़ाई नहीं रुकने दी
गांव गोसल के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल के नवजोत शर्मा ने लॉकडाउन के दौरान स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लासेस दी हैं। इसके साथ वह लॉकडाउन में स्कूल का स्मार्ट बनाने के प्रयास भी करते रहे हैं। यही नहीं कोविड काल में डोर-टू-डोर बच्चों को किताबें, राशन उपलब्ध करवाया। इसी दौरान गिरने के कारण बाजू टूटी। प्लास्टर लगने के बाद भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई न रुके, इसके लिए उन्होंने बच्चों तक किताबें पहुंचाना जारी रखा। वह शिक्षा विभाग के लिए अब तक 270 से ज्यादा पोस्टर तैयार करवा चुका हैं। पिछली बार भी अवॉर्ड के लिए नाम गया था, लेकिन इस बार सफलता मिली है। वह कहते हैं कि इसी तरह से मेहनत जारी रहेगी ताकि सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स को भी बेहतर शिक्षा मिल सके।

वरिंदर परवीन।
वरिंदर परवीन ने स्कूल में बनाया साइंस पार्क
वरिंदर परवीन गांव सेखेवाल में गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापिका हैं। उनके द्वारा पिछले 3 सालों के दौरान स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के कारण स्कूल में तीन गुना एडमिशन बढ़ी। स्कूल में 2018 में 732 स्टूडेंट्स थे जबकि अब 2350 स्टूडेंट्स हैं। स्टूडेंट्स की साइंस में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उन्हें किताबी ज्ञान के साथ ही अन्य एक्टिविटीज का भी हिस्सा बनाया। स्कूल में साइंस पार्क, मॉडल्स और बाला वर्क हुआ तो स्टूडेंट्स की दिलचस्पी और बढ़ी। हमारे स्कूल में 450 स्टूडेंट्स साइंस स्ट्रीम में हैं। स्टूडेंट्स को इनोवेशन के लिए भी हम काफी प्रेरित करते हैं।
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