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- Patients Did Not Decrease In Kerala; But Patients With Ventilator Support Decreased By 37% And Patients With ICU Beds By 40%
कोच्चि/नई दिल्ली2 घंटे पहले
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देश में सबसे ज्यादा नए मरीज केरल में मिल रहे, इसलिए वैक्सीनेशन का सबसे ज्यादा असर भी वहां दिखने लगा है।
कोरोना से लड़ने में वैक्सीन कितनी कारगर है, इसे आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट से समझा जा सकता है। भारत में सबसे ज्यादा नए मरीज केरल में मिल रहे हैं, इसलिए वैक्सीनेशन का असर भी वहीं दिख रहा है। केरल में 10 से 20 मई के बीच रोजाना मरीजों का औसत 31 हजार था। अब करीब चार महीने बाद भी 31 हजार ही है। यानी रोज मिलने वाले मरीज नहीं घटे हैं। लेकिन, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज 17%, वेंटिलेटर सपोर्ट पर जाने वाले 37% और आइसीयू बेड वाले मरीज 40% घट चुके हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि मई में भी केरल में 90% से ज्यादा मरीज डेल्टा वैरिएंट वाले थे, अब भी इतने ही हैं। यानी वायरस का स्वरूप भी वही है। लेकिन, चार महीने में टीके की सिंगल डोज लेने वाली वयस्क आबादी 24% से बढ़कर 73%, दोनों डोज लेने वाली आबादी 4% से बढ़कर 28% हो गई है। विशेषज्ञ इसे ही गंभीर मरीजों की संख्या घटने की वजह बता रहे हैं।
जैसे-जैसे टीकाकरण बढ़ेगा, गंभीर रूप से बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या घटेगी
महामारी विशेषज्ञ डॉ. अरुण कहते हैं कि केरल में वैक्सीनेशन की रफ्तार शुरू से ही अच्छी रही है। इसका नतीजा यह है कि अब गंभीर रूप से बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले कम है। इसी वजह से मृत्युदर 0.5% से भी कम हो गई है। यानी 200 कोरोना मरीजों में से सिर्फ एक मरीज की मौत हो रही है। जनवरी में 200 मरीजों में से 3 की मौत हो रही थी। यानी मृत्युदर तीन गुना तक घटी है। जैसे-जैसे टीके की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी, महामारी से मौत होने का खतरा कम होता जाएगा।



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