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वाराणसी43 मिनट पहले
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ट्रेन के कोच को कीटाणु रहित करने के लिए इस्तेमाल की जाती यूवीसी रोबोट तकनीेक।
कोरोना काल में उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने रेलगाड़ियों को कीटाणु रहित करने के लिए यूवीसी रोबोट तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। यह तकनीक कोरोना वायरस के न्यूक्लियस (यानी नाभिक, जिसके बगैर इसके आसपास की संरचना जीवित नहीं रहती) को नष्ट करेगी। इसके चलते उसकी वृद्धि नहीं होगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उत्तर रेलवे ने यात्री डिब्बों को कीटाणु रहित करने के लिए कई परीक्षणों के बाद यूवीसी तकनीक को अपनाया है।
रिमोर्ट कंट्रोल से चलती है मशीन
भारतीय रेल के दिल्ली मंडल में जुलाई, 2021 से डीएलटी डिपो में गाड़ी संख्या 02004 (लखनऊ शताब्दी स्पेशल) में इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार किया जा रहा है। रिमोट कंट्रोल से चलने वाली इस मशीन के इस्तेमाल से पूरी रेलगाड़ी को स्वचालित रूप से कीटाणु रहित किया जा रहा है। यह तकनीक उन स्थानों पर भी कारगर है जहां तक किसी अन्य मौजूदा प्रक्रिया द्वारा नहीं पहुंचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में इंसान की कोई भागीदारी नहीं होती। इसलिए यह यूवीसी तकनीक पूरी तरह सुरक्षित और उपयोग के अनुकूल है।
इस मशीन को वाशिंग लाइन पर सुगमता के साथ इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यह तकनीक कंपार्टमेंट क्षेत्र के शत-प्रतिशत कीटाणु शोधन के लिए यूवीसी लाइट्स के साथ लगे ऑटोनॉमस पंखों वाले रोबोटिक उपकरण का उपयोग करती है। यह डिवाइस ऑपरेटर और आसपास की सुरक्षा के लिए वायरलैस रिमोट कंट्रोल की मदद से संचालित होता है।
वायरस के बढ़ने पर रोक लगाती है तकनीक
गौरतलब है कि यह तकनीक कोरोना वायरस के न्यूक्लियस को नष्ट कर देती है, जिससे इसके वायरस के बढ़ने पर रोक लग जाती है। इसके साथ ही यह अपनी तरह का एक हरित उपाय भी है। सरकार द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला द्वारा किए गए परीक्षण के बाद यह पाया गया है कि यह तकनीक जीवाणु, कीटाणु और रोगाणु को 99.99% तक मार देती है।
इस तकनीक को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, सीएसआईओ और तनुवास अध्ययन केंद्र द्वारा अनुमोदित किया गया है। एयर इंडिया एक्सप्रेस केबिन को कीटाणुरहित करने के लिए पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल कर रही है और पिछले लगभग 2 दशकों से अस्पतालों द्वारा भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या है यूवीसी तकनीक
यूवीसी का पूरा नाम अल्ट्रावॉयलेट सी रेडिएशन है। आमतौर पर इसे पराबैंगनी किरणें कहा जाता है। अल्ट्रावायलेट लाइट का इस्तेमाल लंबे अरसे से वायरसों और बैक्टीरिया को मारने में किया जाता रहा है। अल्ट्रावायलेट लाइट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किसी सतह या वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया को मारने में होता है। कोरोना काल में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। यूवीसी रेडिएशन का इस्तेमाल हवा, पानी और गैर-छिद्रपूर्ण सतहों को कीटाणु मुक्त करने में होता है। इसके अलावा आमतौर पर यूवीसी लैंप का इस्तेमाल होता है। यूवीसी लैंप को कीटाणु नाशक लैंप भी कहा जाता है।
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