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मोहाली6 घंटे पहले
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नेशनल हाईवे अथाॅरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की ओर से भारत माला परियोजना के तहत जो नया रोड एयरपोर्ट के आईटी सिटी से लेकर कुराली-सिसंवा-बद्दी मार्ग तक बनाया जा रहा है। उस जमीन को एक्वायर करने का काम एनएचएआई की ओर से शुरू किया गया है। किसानाें को जमीन का मुआवजा लेने के लिए कहा जा रहा है। जबकि किसानों का कहना है कि जो राशि एनएचएआई की ओर से दी जा रही है वो बहुत कम है। जबकि मार्केट रेट उससे 3 गुणा ज्यादा है।
इसको लेकर मोहाली, कुराली, खरड़, बनूड, डेराबस्सी, लालडू और जीरकपुर से संबंधित किसानाें की रोड संघर्ष कमेटी जिला मोहाली की एक मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें भारी संख्या में किसान पहुंचे। उन्हाेंने मांग की है कि सरकार की ओर से जमीन एक्वायर करने के लिए जो रेट दिया जा रहा है, वो बहुत ही कम है। इसलिए इस रेट को मार्केट रेट के अनुसार बढ़ाया जाए। यहां पर पहले भी करोड़ों रुपए में एनएचएआई ने जमीन एक्वायर की है।
अगर किसानों की बात को न माना गया तो वे 9 सितंबर से डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटिव कॉम्प्लेक्स के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे। कमेटी के स्टेट प्रेसिडेंट सुखदेव सिंह ढिल्लाें ने कहा कि प्रशासन की ओर से जमीन का रेट तय करने को लेकर जो लैंड एक्यूजेशन की धारा -26 के तहत नोटिस भेजे गए हैं उन सबको तुरंत रद्द किया जाए। सेक्शन-28 के तहत दोबारा से रेट तय किया जाएं।
यह पूरा एरिया ट्राईसिटी से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां पर जमीनों के रेट भी ज्यादा हैं। मार्केट रेट यहां पर जमीनाें का ज्यादा है फिर भी प्रशासन की ओर से इस रेट को दरकिनार कर कम रेट दिया जा रहा है। किसान किसी भी सूरत में कौड़ियों के भाव अपनी जमीन नहीं देंगे। यदि उनको सही रेट नहीं मिला तो वे इस प्रोजेक्ट को कैंसिल करने के लिए संघर्ष करेंगे।
सवा 3 करोड़ में पहले एनएचएआई ने की थी जमीन एक्वायर
कुराली के आसपास के किसानों की ओर से एनएचएआई की ओर से दिया जाने वाला 1.33 करोड़ प्रति एकड़ का मुआवजा जो तय किया है वो बहुत ही कम है। एनएचएआई की ओर से पहले भी कुराली वाईपास के लिए जमीन एक्वायर की गई थी। उस समय करीब सवा 3 करोड़ रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से रेट दिया गया था। इसलिए इस एरिया में उसी रेट के तहत मुआवजा दिया जाए। क्योंकि अब तो रेट भी पहले से ज्यादा हो गए हैं।
ये भी मांगें रखी: किसानों ने यह भी मांग की है कि जो रोड के लिए जमीन ली जा रही है उसको बनाते समय सर्विस लेन का ख्याल रखा जाए। खेतों में जो भी चीज बनी है उसका भी मुआवजा दिया जाए। सड़क के कारण जहां भी जमीन 2 हिस्साें में बंटेगी वहां पर बिजली-पानी की व्यवस्था और बरसाती पानी की निकासी का पूरा प्रबंध किया जाए। परिवारों के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए।
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