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फिरोजाबाद5 मिनट पहले
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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में डेंगू से मौतों का कहर बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटे में ही पांच बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हो चुकी है और अब तक 106 लोग बुखार से दम तोड़ चुके हैं। अस्पताल में बेड भरे हुए हैं। अगस्त माह से जिले में शुरू हुआ डेंगू धीरे-धीरे विकराल रूप लेता चला गया। लेकिन हमारा स्वास्थ्य विभाग इसे वायरल फीवर बताता रहा। देखते-देखते 106 मौत हो गईं। अब बड़ा सवाल यह है कि इन 106 मौतों का जिम्मेदार कौन है? यह सारी मौतें स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही से हुईं। सीएम के दौरे पहले तो यहां जांच तक नहीं करवाई जा रही थी। ऐसे लापरवाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए?
18 अगस्त को सामने आया डेंगू का पहला केस
फिरोजाबाद में पहला डेंगू का मामला 18 अगस्त को सामने आया था। इसके बाद से ही लगातार डेंगू के मामले बढ़ते चले गए। नगला अमान और कपावली में बुखार के मामले तेजी से बढ़ते गए और उसके बाद 10 दिन के अंदर बुखार ने शहर के सुदामापुरी, ऐलान नगर, रैपुरा समेत कई इलाकों को चपेट में ले लिया। इसी बीच बच्चों और युवाओं की मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया। अब जिले भर में 85 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। डीएम चंद्रविजय, नगर आयुक्त प्रेरणा शर्मा, महापौर नूतन राठौर, सीएमओ और सीएमएस समेत तमाम डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी लगातार व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का दावा कर रहे हैं। लेकिन मरने वाले बच्चों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

यदि शहर के ये बड़े पर बैठे जिम्मेदार शुरू से ही ध्यान देते तो शायद इतनी मौत न होतीं।
पिछले 24 घंटे में 5 बच्चों समेत 8 की जान गई
रवि राठौर के 5 साल के बेटे यश को उल्टी और बुखार हो रहा था। रानी नगर से वह 100 बेड के अस्पताल बुधवार सुबह सुबह पहुंचे। रोते हुए कहते हैं स्टाफ को जगाया लेकिन कोई उठ कर मेरे बच्चों को देखने को तैयार नहीं था। इलाज न मिलने के कारण उसने मेरी गोद में दम तोड़ दिया। बुधवार से गुरूवार के बीच यश समेत 8 लोगों की मौत डेंगू और वायरल फीवर से हुई है। जबकि सनम(9), शिवांग (6), सिमरन (15), मनीषा (17) दिया अग्रवाल (17), सुमन (18) और काजल (20) ने दम तोड़ दिया। यह सभी रानी नगर, झलकारी नगर, ओम नगर, टिकरी गांव, नगला गोकुल के निवासी हैं। मरने वालों के आंकड़ों अपने स्तर से मिल रही सूचना के आधार पर दर्शाए गए हैं।
जलेसर रोड पर मंगलम धर्मकांटा मोहल्ले में ही 4 घंटे में दो अर्थियां उठी। बुधवार सुबह 15 वर्षीय सिमरन की इलाज के दौरान मौत हो गई। सभी अंतिम संस्कार करके लौटे ही थे कि पड़ोस की सुमन (18) की मौत की खबर आ गई। जो भी वहां मौजूद था। हालातों पर उसे रोना आ गया।
अब तक ये कार्रवाई हुई
बच्चों की मौत को रोकने में नाकाम रहीं सीएमओ डॉ. नीता कुलश्रेष्ठ को हटाया गया और उनके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सैलई के चिकित्सक गिरीश श्रीवास्तव, डॉक्टर सौरव और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर रुचि यादव को निलंबित कर दिया गया। इनके अलावा अब सीएमओ की संस्तुति पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी मुकेश कुमार को हटा दिया गया। इनके स्थान पर एसीएमओ प्रताप सिंह को जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सवाल यह भी उठते हैं कि जो जिम्मेदार हैं वह चुप क्यों हैं। इन मासूमों की मौत का जिम्मेदार किसे ठहराएंगे।
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