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फतेहपुर33 मिनट पहले
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साक्षरता मिशन के तहत कैदियों को शिक्षा दी जा रही है।
- जिला जेल में इस समय बंद हैं 1716 पुरुष, 70 महिलाएं और 11 बच्चे
- 3 महीने में 325 कैदी हुए निरक्षर, 25 रुपए मिल रही पढ़ाने की फीस
जेल का नाम सुनते ही हर व्यक्ति के जहन में दुर्दांत अपराधियों की तस्वीर सामने आती है, लेकिन फतेहपुर जिला कारागार में तस्वीर कुछ अलग है। यहां पर कैदियों की पाठशाला चल रही है। कैदी अपराध से निजात पाने के लिए अ से अनार सीख रह हैं। जिससे सजा पूरी करने के बाद ये नई जिंदगी की शुरुआत कर सके। साक्षरता मिशन के तहत जिला जेल में बंद करीब 325 विचाराधीन निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की पहल की गई है।
कैदियों ने बताया कि अगर वे इसी तरह से पढ़ते रहे तो अपने लड़के से आगे निकल जाएंगे। बताया कि उनका लड़का सिर्फ पांच तक पढ़ा है। तीन महीनों में अब उसे अपने लड़के से ज्यादा आता है।
बैरक के बरामदे में चल रही पाठशाला
अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान ने बताया कि जेल में इस समय 1716 पुरुष, 70 महिलाएं और 11 बच्चे बंद हैं। साक्षरता मिशन के तहत तीन महीने पहले यहां पर 325 कैदी निरक्षर कैदियों को अलग किया गया। साथ ही 15 साक्षर को कैदियों का चयन किया गया। इसके बाद बैरक के बरामदे में ही कैदियों की पाठशाला शुरू हो गई। रोज दोपहर 12 से 2 बजे तक कैदियों को पढ़ाया जाता है। जिससे अब सभी कैदी साक्षर हो गए हैं।

महिलाएं भी पढ़ाई में आगे।
निरक्षर कैदियों की पढ़ाई-लिखाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए फतेहपुर शहर की सामाजिक संस्था ‘ट्रुथ मिशन स्कूल एवं जेल कर्मियों से भी सहयोग लिया जा रहा है।

धार्मिक किताबें भी पढ़ रहे।
कैदियों व्यवहार में बदलाव आया
जेल में चलने वाली पाठशाला में कैदियों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। तीन महीनों में कैदियों ने अखबार पढ़ना, हनुमान चालीसा, गीता, रामायण और कुरान आदि पढ़ना सीख लिया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है। हमारी कोशिश होगी कि साक्षर होकर जेल से रिहा होने वाला कैदी समाज की मुख्य धारा से जुड़ेगा और उनके विचारों में परिवर्तन भी आएगा। इससे वह अपने जीवन यापन के लिए कोई भी रोजगार कर सकता है।

कैदियों के विचारों में बदलाव आ रहा है।
शिक्षा के साथ कमाई भी
जेल की पाठशाला से जहां एक ओर निरक्षर कैदियों को अक्षर ज्ञान हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ कैदियों की कमाई भी हो रही है। कैदियों को पढ़ाने वाले 15 कैदियों में हर एक प्रतिदिन के हिसाब से 25 रुपये मिल रहे हैं। ‘

जेल अधीक्षक अकरम खान ने बताया कि साक्षरता मिशन के तहत तीन महीने पहले यहां पर 325 कैदी निरक्षर कैदियों को अलग किया गया।
अब कोई अंगूठा नहीं लगाता
जेल में अब कोई भी कैदी अंगूठा नहीं लगाता है। सभी हस्ताक्षर करते हैं। कैदियों को पढ़ाने वाली सीमा चौहान ने बताया कि यहां से निकलने के बाद कैदी चाहे तो अपनी आगे की शिक्षा भी पूरी कर सकते हैं। सभी कैदियों को पहाड़े, एबीसीडी और ककाहरा आदि रटा हुआ है।
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