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- 11 Year Old Child Of Barwala Village Of Panchkula Got A New Life By Getting Liver Transplant Done With The Help Of People And Organizations
चंडीगढ़एक घंटा पहले
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11 साल के बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद नई जिंदगी मिली। परिवार में खुशी का माहौल है।
पंचकूला जिले के गांव बरवाला के 11 साल के बच्चे को जीवनदान मिल गया है। यह बच्चा दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर की फैट मेटाबॉलिज्म की बीमारी से पीड़ित था।जो सोरायसिस और लिवर डैमेज का कारण भी बन जाती है। जिसकी वजह से उसका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ा, जिसका एक हिस्सा उसके पिता ने दिया है। इसके अलावा बड़ी समस्या इतने बड़े ऑपरेशन के लिए पैसों की थी, जिसके लिए कई सामाजिक संस्थाओं ने कदम बढ़ाया। आखिर चेन्नई के बड़े अस्पताल में बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट हो गया और इसके बाद अब परिवार में खुशी का माहौल है। उन्होंने डॉक्टरों का धन्यवाद किया है।
बच्चे के पिता पवन कुमार जो पेशे से ड्राइवर हैं उन्होंने बताया कि ने बताया कि उसके 11 साल के बेटे रिधिमन को गहरा पीलिया, पेट में फ्लूड और लिवर की बीमारी के कारण मांसपेशियों की गंभीर क्षति हो रही थी। उसे उभरी हुई आंखों की भी समस्या थी। मां पूजा ने बताया कि उन्होंने बेटे के इलाज के लिए कई जगह ले जाकर दिखाया, लेकिन वह ठीक नहीं हो पा रहा था। बार-बार बीमार होने के कारण वह अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। एक ही जगह बैठा रहता था, लेकिन अब वह पढ़ भी रहा है और अन्य बच्चों की तरह शरारतें भी कर रहा है।
चैतन्य अस्पताल के एमडी डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए उसके माता-पिता कई अस्पतालों में गए। फिर उन्होंने चैतन्य अस्पताल से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें डॉ. जगदीश मेनन, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक हैपेटोलॉजिस्ट और लिवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन, रेला अस्पताल को रेफर किया। चैतन्य अस्पताल में रेला अस्पताल महीने में दो बार पीडियाट्रिक लिवर केयर ओपीडी क्लिनिक का संचालन करता है।
डॉ. मेनन ने लड़के की जांच की और माता-पिता को सलाह दी कि उसका इलाज दवाओं से संभव नहीं है और एकमात्र इलाज लिवर ट्रांसप्लांट ही होगा। माता-पिता अपने बच्चे को रेला अस्पताल चेन्नई पहुंचे यहां प्रोफेसर मोहमद रेला ने कहा कि डोनर ऑपरेशन रोबोटिक होगा, जो बिना किसी निशान के और बहुत जल्दी ठीक होने वाला है। पिता ने स्वेच्छा से बेटे की जान बचाने के लिए अपने लिवर का एक हिस्सा दान किया, भले ही उनका ब्लड ग्रुप अलग था।
डॉ. जगदीश मेनन ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट के लिए रेला अस्पताल में बच्चे का जुलाई में सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। यह ट्रांसप्लांट कई संगठनों और एनजीओ की मदद संभव हुआ, जिन्होंने ट्रांसप्लांट के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की। ट्रांसप्लांट के 2 सप्ताह के बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। पीलिया के पूर्ण समाधान के साथ-साथ, लिवर ट्रांसप्लांट से पहले उनकी आँखों का असामान्य उभार भी तेजी से ठीक हो गया है।
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