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चित्तौड़गढ़22 मिनट पहले
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कोतवाली थाना,चित्तौड़गढ़।
कोतवाली थाना क्षेत्र में एक प्लॉट बैंक में गिरवी होने के बावजूद धोखाधड़ी कर बेच देने का मामला सामने आया है। अग्रसेन नगर, भीलवाड़ा रोड निवासी राजेश सोमानी पुत्र रामचंद्र सोमानी ने 5 जनों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है और उन पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। थानाधिकारी तुलसीराम ने बताया कि राजेश सोमानी ने 5 जने शास्त्री नगर निवासी लीला देवी पत्नी श्रीचंद गुरनानी, संजय गुरनानी पुत्र श्रीचंद गुरनानी, गांधीनगर निवासी राजेश सुराणा पुत्र ईश्वरदास सुराणा, महावीर कॉलोनी निवासी आकाश सुराणा पुत्र शंकरलाल सुराणा और अशोक नगर निवासी अनिल कुमार नाहर पुत्र जीतमल नाहर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। रिपोर्ट में बताया कि शहर में कुमावत का नोहरे के सामने 492.65 स्क्वायर फीट आवासीय भूखंड आकाश सुराणा के जरिए खरीदा गया था। प्लॉट पर पहले से लोन लिया हुआ है। आकाश सुराणा ने यह प्लॉट लीला देवी गुरनानी से खरीदा था। उस समय पेपर्स में लोन चुका देने की बात लिखी हुई थी।
मिलीभगत कर बेची जमीन
प्रार्थी ने बताया कि उसने यह संपत्ति आकाश सुराणा से खरीदी जिसमें लोन चुकाने की बात लिखी गई थी। जब बैंक में पहुंचकर लोन के संबंध में बात की, तो बैंक से पता चला कि लीला देवी गुरनानी और संजय गुरनानी ने बैंक से करोड़ों रुपए का लोन 2014 में एसबीआई बैंक शाखा मीरा मार्केट से लिया था जमीन के पेपर्स को बंधक रखी हुई है। इस संपत्ति का मूल पट्टा भी बैंक के पास रखा हुआ है। आज भी यह संपत्ति बैंक के पास गिरवी रखी हुई है। जब आकाश सुराणा, अनिल नाहर और राजेश सुराणा से पूछताछ की तो पता चला कि उन्हें इस बात की जानकारी थी। वह स्वयं की राशि फंस ना जाए इसलिए संपत्ति इन लोगों ने प्रार्थी को बेच दी। इससे अपनी राशि संपत्ति से निकाल ली। इस संपत्ति के बारे में आरोपियों को जानकारी थी। यह संपत्ति एसबीआई से करोड़ों रुपए के लोन लेकर लीला देवी और संजय गुरनानी ने गिरवी रखी थी और धोखाधड़ी कर जानबूझकर इस संपत्ति का भार और लोन का भार प्रार्थी पर डाल दिया।
जमीन के कई टुकड़े करके अलग-अलग लोगों को बेचे
रिपोर्ट में बताया कि एसबीआई ब्रांच चित्तौड़गढ़ में प्रार्थी ने पूछा था तो पता चला कि संपत्ति की सर्च रिपोर्ट और वैल्यूएशन रिपोर्ट नियमित रूप से बनवाई गई है। बैंक ने आरोपियों को ऋण के करोड़ों रुपए देने के बाद आज तक मौके पर आकर सर्च रिपोर्ट और वैल्यूएशन की रिपोर्ट प्राप्त कर कोई कार्यवाही नहीं की। छल करने के उद्देश्य से लीला देवी गुरनानी और संजय गुरनानी ने इस प्लॉट के कुछ भागों को बांटकर एक पट्टा बैंक वालों को भी दिया। इसके बाद वहां के जमीन के कई टुकड़े करके अलग-अलग लोगों को बेच दिया। उक्त बंधक गिरवी रखे प्लॉट के पट्टा के प्रमाणित कॉपी दिखाकर संतुष्ट कर चोरी छुपे बैंक में वापस गिरवी रख दी और प्रार्थी के साथ धोखाधड़ी कर बेच दी गई। प्रार्थी ने अपने साथ हुए धोखाधड़ी के लिए न्याय देने की बात कही गई।
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