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बठिंडा2 घंटे पहले
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जैन सभा में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए शुभिता महाराज ने फरमाया कि जिंदगी का टिमटिमाता दीपक कभी भी बुझ सकता है। इसलिए संयम की चिमनी उसे केवल सुरक्षित रखती है अपितु उसकी लौ को भी निखारती है। उन्होंने कहा कि मानव- संसार में हमेशा भय से व्याप्त रहता है, कभी देवी-देवताओं से, कभी अपनी मृत्यु का भय, कभी अपने रोगों का भय, कभी अपनी भूख का भय और कभी धन खत्म हो जाने का भय अनेक उनके प्रकार का डर उसके मन में समाया रहता है। मनुष्य चाहता है कि सुकून में रहे, चाहता है कि शांति में रहे, लेकिन चाहने से क्या होगा।
चाहने से कुछ नहीं होगा, सुकून और शांति पाने के लिए हमें प्रयास करना होगा। सबसे पहला प्रयास है कि हमें निर्भय बनना होगा। हमें अपने जीवन को बदलना होगा। इच्छाओं को सीमित करना होगा। जीवन को मर्यादाओं में लाना होगा, सोच को सही करना होगा। दिशा को तय करना होगा, लक्ष्य को हासिल करना होगा। फिर जाकर के हमें सुकून और शांति मिल सकती है।
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