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नई दिल्ली9 घंटे पहले
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दिल्ली में स्ट्रीट क्राइम जैसे लूटपाट और झपटमारी के बाद वाहन चोरी की वारदात सबसे बड़ी समस्या है। लोगों के वाहन आए दिन चोरी होते हैं, वे किस्मत वाले होते हैं, जिनके वाहन चोरी के बाद पुलिस ट्रेस कर लेती है। वाहन चोर पर शिकंजा कसने के लिए ही पुलिस ने सभी पंद्रह जिलों में एंटी ऑटो थैफ्ट स्कवाड (वाहन चोर निरोधक दस्ता) की टीम बना रखी है। हालांकि, साउथ डिस्ट्रिक में यह टीम केवल नाम के लिए है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है बीते दो तीन साल से इस विशेष यूनिट में कोई इंस्पेक्टर नहीं है।
लम्बे वक्त से सब इंस्पेक्टर भी टीम का हिस्सा नहीं। सिर्फ पांच सिपाही ही कामकाज संभाल रहे हैं, जिनमें एक महिला पुलिसकर्मी शामिल है। यह हाल तो तब है जब इस डिस्ट्रिक में ही रोजाना औसतन पंद्रह वाहन चोरी होते हैं। वहीं अगर पूरी दिल्ली की बात की जाए तो यह आंकड़ा हर 12 मिनट में एक वाहन चोरी का है। चोरी हुए वाहनों का रिकवरी रेट बेहद कम है। पुलिस रिकॉर्ड बताता है पिछले साल राजधानी में कुल 35,019 वाहन चोरी हुए थे, इनमें बरामद केवल 4183 ही हो सकें।
यानी केवल 11.94 प्रतिशत ही रिकवर किए गए। इस साल पंद्रह जून तक ही 15,667 वाहन चोरी हो चुके थे, गत् वर्ष इस एक जनवरी से पंद्रह जून के बीच चोरी हुए वाहनों का आंकड़ा 13,330 था। दिल्ली पुलिस के आंकड़े ही इस बात की पुष्टि करते हैं वाहन चोरी की वारदातों पर लगाम लगाना किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं है।
साल 2011 से 2020 तक ही 3,07,000 वाहन चोरी हो चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2019 का डाटा बताता है हर बारह मिनट बाद दिल्ली में एक वाहन चोरी होता है। मुंबई में हर चार घंटे और बंगलुरू में हर दो घंटे के बाद। बदमाशों के निशाने पर चोरी के लिए सबसे ज्यादा वाहन दुपहिया वाहन और कार होती हैं।
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