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फरीदाबादएक घंटा पहले
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- एडमिट कि गई एप्लीकेशन का नंबर ( जवाब दावा ) जमाई काॅलोनी के लोगों ने निगम कमिश्नर यशपाल यादव को सौंप दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जमाई काॅलोनी की तरफ से डाली गई एप्लीकेशन को स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले में अगली तारीख पर सुनवाई होगी। एडमिट की गई एप्लीकेशन का नंबर ( जवाब दावा ) जमाई काॅलोनी के लोगों ने निगम कमिश्नर यशपाल यादव को सौंप दिया है। ऐसे में फिलहाल अभी तोड़फोड़ होना मुश्किल लग रहा है। काॅलोनी के लोगों ने कहा कि वे कानून के दायरे में रहकर और शांतिपूर्ण तरीके से अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। कांग्रेस नेता विजय प्रताप सिंह ने कहा कि स्थानीय प्रशासन व सरकार लोगों को गलत तरीके से उजाड़ना चाहती है। ऐसे में प्रशासन लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर न करे।
जमाई काॅलोनी वन क्षेत्र में नहीं आती
कांग्रेस नेता ने कहा कि बड़खल गांव व जमाई काॅलोनी का क्षेत्र वन क्षेत्र में नहीं आता। यहां पहले से ही लोग रह रहे हैं। यहां वन विभाग ने कभी भी पेड़ नहीं लगाए। लोगों को हटाकर वन क्षेत्र बनाना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा आसपास के गांव पहाड़ों में बसे हुए हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है की पहाड़ में आने वाले गांव के लोगों के पास जो भी मिल्कियत है वह पहाड़ ही में ही है। खेती की जमीन तो इन गांवों वालों के पास अन्य गांवों के मुकाबले 10 प्रतिशत ही है। ऐसे में ये लोग कहां जाए और कैसे जीवन यापन करें। अब तो इन्हें रहने भी नहीं दिया जा रहा।
सुप्रीम कोर्ट का कोई स्पेसिफिक ऑर्डर नहीं
उन्होंने कहा जमाई कॉलोनी को तोड़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कोई स्पेसिफिक ऑर्डर नहीं है। यह कार्यवाही स्थानीय नेताओं के इशारे पर की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की आड़ में न केवल जमाई कॉलोनी बल्कि अन्य स्लम कॉलोनियों को भी खाली कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा हरियाणा सरकार यदि गरीबों को उजाड़ने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे देती तो आज यह नौबत नहीं आती। सरकार को गरीबों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। सरकार का काम लोगों को बसाने का होना चाहिए न कि उजाड़ने का।
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