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नई दिल्ली8 घंटे पहले
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जायडस, आरएनए, नोवावैक्स, इंट्रानोजल जैसी वैक्सीन का चल रहा है ट्रायल। फाइल फोटो
दिल्ली में कोरोना के मामलों में कमी व संक्रमण दर में काफी गिरावट आने के बाद बड़े बच्चों के स्कूल खुल गए है। ऐसे में अभिभावक बच्चों में टीका नहीं लगने पर परेशान है। जब तक उनके बच्चों में टीका नहीं लग जाता तब तक उनकी परेशानी बनी रहेगी। इसलिए अभिभावकों को बच्चों की वैक्सीन के आने का इंतजार है। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की वैक्सीन पर ट्रायल जारी है और अक्टूबर-नवंबर महीने में आ सकती है।
बच्चों पर चल रहे ट्रायल को लेकर अभी तक का डाटा सकारात्मक रहा है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जल्द ही 12 से 18 साल तक के बच्चों को वैक्सीन देने के लिए आपातकालीन मंजूरी के लिए आवेदन किया जा सकता है।
वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में मेडिसन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि बच्चों पर चल रहे ट्रायल का अभी तक कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है। उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही बच्चों पर हुए ट्रायल का डाटा एकत्रित कर पब्लिश किया जाएगा। साथ ही वैक्सीन के आपातकालीन मंजूरी के लिए आवेदन किया जा सकता है।
कई वैक्सीन पर चल रहा है ट्रायल
बच्चों के वैक्सीन के लिए ट्रायल जारी है। जायडस कैडिला, आरएनए वैक्सीन, नोवावैक्स, इंट्रानोजल वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यह ट्रायल जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। डॉ. अरविंद का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चों को लेकर एकत्रित किए गए अभी तक के डाटा से स्पष्ट होता है कि बच्चों में फ्लू जैसे संक्रमण का खतरा कम रहता है, लेकिन वह दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें परिवार, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं को एक साथ लेकर चलना होगा।
तेजी से करना होगा वैक्सीनेशन
कोरोना के जो स्ट्रेन देखने को मिले हैं उसमें डेल्टा सबसे घातक है। भारत डेल्टा की मार झेल चुका है। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मामले डेल्टा के ही आए थे। हम उम्मीद कर रहे है कि कोरोना की तीसरी लहर में एक बार फिर से तेजी से मामले बढ़ सकते हैं।
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