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- …but The Medical College Is Not Doing The ELISA Test Only, 7 Days Out Of 9 Are Not Tested, But The Head Of The Department Is Saying Doing It Everyday
जोधपुरएक घंटा पहलेलेखक: महावीर प्रसाद शर्मा
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उम्मेद से भेजे सैंपल लौटाए तो प्रभारी ने पत्र लिख कारण पूछा, बताया- निर्धारित फॉर्म साथ नहीं थे… जबकि लाइन-लिस्टिंग पूरी थी।
शहर में बारिश के साथ ही डेंगू की आहट तेज हो गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू के भर्ती मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। मरीजों को डेंगू है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए जरूरी एलाइजा टेस्ट सरकारी अस्पतालों के साथ अब मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में भी नहीं हो रहा। मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सितंबर के पहले 9 दिनों में से मात्र 2 दिन (3 और 9 सितंबर) ही एलाइजा टेस्ट किए गए।
अस्पतालों में कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव मिलने वाले सैंपल एलाइजा टेस्ट के लिए मेडिकल काॅलेज भेजे जा रहे, लेकिन वे बिना जांच ही वापस लौटाए जा रहे हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला भी सामने आया। दरअसल, उम्मेद अस्पताल से एक साइकिल सवार कर्मी डेंगू के पॉजिटिव सैंपलों के कंफर्मेशन एलाइजा टेस्ट के लिए मरीजों की सूची के साथ मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में पहुंचा।
वहां बैठे टेक्निशियन ने बिना जांच किए ही सैंपल वापस भेज दिए। इस पर उम्मेद अस्पताल लैब प्रभारी डॉ. प्रभुप्रकाश ने माइक्रोबायोलॉजी लैब की विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर सैंपल वापस अस्पताल भेजे जाने का कारण भी पूछा है। इस बारे में माइक्रोबायोलॉजी लैब की विभागाध्यक्ष डॉ. स्मिता कुलश्रेष्ठ का कहना है कि सैंपलों के साथ निर्धारित फॉर्म नहीं थे, इसलिए लौटाए गए।
जबकि उम्मेद अस्पताल के लैब प्रभारी के अनुसार सैंपल पूरी लाइन लिस्टिंग के साथ भेजे गए थे। यह हाल तब है, जब एमडीएम, एमजीएच और उम्मेद में प्रतिदिन 150 से अधिक डेंगू के कार्ड टेस्ट हो रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी मरीज आ रहे हैं, जो कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आते हैं, लेकिन सरकार उन्हें नहीं मानती है। मेडिकल कॉलेज के डाटा के अनुसार अब तक 30 डेंगू पॉजिटिव मरीज आ चुके हैं, जबकि संख्या इससे बहुत अधिक है।

माइक्रोबायोलॉजी लैब की विभागाध्यक्ष को लिखा पत्र।

एलाइजा टेस्ट इसलिए जरूरी- इसमें पॉजिटिव होने पर ही डेंगू की पुष्टि
डॉक्टर डेंगू की जांच कराने के लिए कहते हैं और लक्षण के आधार पर मरीज को दवा लिख देते हैं। मरीज ब्लड सैंपल देकर चला जाता है। सैंपल अस्पताल की लैब में कार्ड टेस्ट के लिए आता है, जिसमें रिजल्ट कई बार पॉजिटिव तो कई बार नेगेटिव मिलते हैं। पॉजिटिव रिजल्ट में एनएस 1 पॉजिटिव और आईजीएम आने पर लैब उन मरीजों के सैंपल मेडिकल कॉलेज कंफर्मेशन टेस्ट एलाइजा के लिए भेजते हैं। यदि वहां रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सरकार उस मरीज को डेंगू पॉजिटिव मानती है।
बड़ा सवाल – अगर एलाइजा टेस्ट ही नहीं होंगे तो डेंगू फैलने का सही अनुमान कैसे लगाया जा सकेगा?
मेडिकल कॉलेज में एलाइजा टेस्ट नहीं होने से मरीजों की यहां जांच नहीं हो पाएगी और जिले में डेंगू के केस दिखाए ही नहीं जा सकेंगे। इससे सरकार और उच्चाधिकारियों के सामने प्रभाव बनाए रखने को लेकर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों काे तो फायदा होगा, लेकिन इस बात का आकलन नहीं हो पाएगा कि शहर में यह बीमारी किस तरह और कितनी फैल रही है।
बीमारी के फैलाव की जानकारी नहीं होगी तो फिर इसकी रोकथाम के लिए कवायद कैसे शुरू होगी, इस पर संशय है। ऐसे में बीमारी की रोकथाम के लिए किए जाने वाले कार्य विभाग द्वारा नहीं करने से नुकसान भी होगा। साथ ही बीमारी के अचानक फैलने का खतरा भी हर समय बना रहेगा।
डेंगू के टेस्ट रोज हो रहे, रिपोर्ट भी भेज रहे
डेंगू के टेस्ट तो रोज हो रहे हैं। हमारे यहां से रिपोर्ट भी भेजी जा रही है। कुछ गैप रह गया होगा, जिसकी वजह से रिपोर्ट में जीरो है। इसे सोमवार को चैक करवा लूंगी। उम्मेद अस्पताल से आए सैंपल में निर्धारित फाॅर्म साथ नहीं आने के कारण वापस भेज दिए थे। सभी अस्पतालों की लैब को पहले से ही सूचना दी जा चुकी है कि सैंपल के साथ निर्धारित फाॅर्म भरकर भेजें। – डॉ. स्मिता कुलश्रेष्ठ, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
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