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मोहाली9 घंटे पहले
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तीड़ा स्कूल का स्मार्ट क्लास रूम।
- बच्चाें के लिए एक टीचर ने सरकारी स्कूल को सुंदर बनाने के लिए दानियों की मदद से किया काम शुरू
टीचरहैड जसवीर सिंह ने बताया कि जब वह करीब चार साल पहले गांव नीडा के स्कूल में पंहुचे तो वहां पर आसपास की व्यवस्था तथा स्कूल को सुंदर बनाने के लिए प्रयास शुरू किया जिसके चलते दानी सज्जनाें का सहयोग मिला। पहली बार 51 हजार रुपए की मदद मिली। उससे स्कूल को ठीक करने का काम शुरू किया। अब स्मार्ट क्लास रूम है जहां पर प्रोजेक्टर के जरिए पढ़ाई करवाई जाती है और पूरा स्कूल की दीवारें भी किसी म्यूजियम या आर्ट गैलरी से कम नहीं लगती।
स्कूलों में रंग बिरंगे डेस्क और बैंच है। चारों तरफ पर्दे लगे हुए हैं। पीने के पानी के लिए कूलर लगवाए गए और खुला खेल मैदान है। यह सब दानी सज्जनों की मदद से हुआ है। पोस्ट होने के 40 दिनों के भीतर पूरे स्कूल की काया कल्प कर दी और शिक्षा मंत्री इस स्कूल को देखने के लिए आई।
स्कूल का खेल मैदान में पानी खड़ा होता था: तीड़ा स्कूल के पास उन्हें कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू मोहाली लेकर आए। टीचर हैड जसवीर सिंह ने मोहाली आने पर फेज-9 के सरकारी स्कूल में पोस्टिंग हुई। यहां पर स्कूल के आगे जो प्रांगण खेल मैदान के लिए इस्तेमाल होता था वो काफी डाउन था जिसमें बरसाती पानी खड़ा होकर काफी दिनाें तक रहता था। यहां पर करीब 6 से 7 टिप्पर मिट्टी डलवाई गई। इसके लिए समाज सेवी गुरिंदर सिंह की ओर से विशेष मदद की गई। उसके बाद स्कूल में पेवर ब्लॉकस लगाने के लिए अमरजीत सिंह जीती सिद्धू जोकि अब मेयर हैं ने भी मदद की।
सीएम ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को लेकर स्टेट अवाॅर्ड से सम्मानित किया: इस काम के बाद जहां स्कूलों में बच्चों का आना बड़ा और गांवों के लोगों ने अपने बच्चों को लोकल छोटे प्राइवेट स्कूलों से हटाकर प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलवाया। बच्चाें की पढ़ाई में सुधार आया और रेंकिंग भी बढ़ी। स्कूलों को इनाम भी मिलें। सीएम की ओर से जसवीर सिंह को इंफ्रास्ट्रक्चर एवं अच्छी पढ़ाई के लिए स्टेट अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। उससे पहले नीडा स्कूल के लिए उन्हें कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने डिस्ट्रिक्ट अवाॅर्ड से सम्मानित किया था।
जिसने होमवर्क न करने पर सजा दी, उसी ने प्रिंसिपल बनने के काबिल बनाया
पूर्व प्रिंसिपल स्वर्ण सिंह चौधरी 45 सालों तक शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देते रहे हैं और 20 साल तक उन्होंने प्रिंसिपल के तौर पर स्कूल मैनेजमेंट की है। उन्होंने बताया कि टीचर सब कुछ स्टूडेंट्स की अच्छाई के लिए करता है। उसके मन में कोई देष नहीं होता बल्कि वह अपने स्टूडेंट को पढ़ाई की ओर अग्रसर करने के लिए प्यार से लेकर फटकार कर का रास्ता अपनाता है।
उन्होंने अपने साथ हुई एक घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जब वे करनाल के कुंजपुरा स्थित पंजाब पुलिस अकादमी में छाेटी क्लास में पढ़ा करते थे उस दौरान उन्होंने कई दिनाें तक होमवर्क नहीं किया। जिस कारण आहत होकर उनके टीचर ने उनको क्लास से बाहर निकालने की सजा दी और इसके बावजूद जब होमवर्क नहीं किया तो टीचर ने उनके माथे पर नालायक लिख दिया और पूरी क्लास में घुमाया।
इसकी जानकरी पेरेंट्स को भी बाद में मिली लेकिन पेरेंट्स ने भी टीचर को कुछ कहने की जगह उनको ही फटकार लगाई। उन्हाेंने कहा कि एक बार मन में आया कि टीचर को सबक सिखाया जाए मगर हालात ऐसे थे कि पेरेंटस भी उन्हीं को पढ़ाई न करने के लिए डांटते थे। इसलिए इस घटना के बाद उनका जीवन ऐसे बदला कि पढ़ाई करने का सिलसिला किसी ओर दिशा में चल पड़ा और वे एक सफल टीचर बने और प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए।
ऑफलाइन क्लास की रिकॉर्डिंग भी स्टूडेंट्स को भेजी जाती है
ऑफ लाइन क्लास की रिकॉर्डिंग भी स्टूडेंट को भेजी जाती है। प्राइमरी विंग को पढ़ाने वाली टीचर वसुधा का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए हाइब्रिड क्लासेज को लेकर कई प्रयोग चल रहे है। जो पढ़ाई ऑफलाइन की जाती है उसकी रिकॉर्डिंग कर क्लीपिंग तैयार की जाती है फिर उसे घर में पढ़ने वाले बच्चों को भेज दी जाती है।
जिसे सुन और देखकर उनके परिजन बच्चे को पूरी जानकारी दे सके। इसके साथ ही वे अगर कोई क्वायरी हो तो वे स्कूल में आकर उसका हल निकाल सके। छोटे बच्चों को ऑनलाइन या हाइब्रिड क्लासेज में होमवर्क दिया जा सकता है लेकिन चेक करने के लिए स्कूल में ही आना पड़ता है।
हाईब्रिड क्लासेज: टीचर्स अपना रहे हैं लेकिन क्लास रूम ही सबसे अहम
कोरोना संक्रमण के कारण जहां हाईब्रिड क्लासेज शुरू की गई है, उसको लेकर टीचर्स पर ज्यादा स्ट्रेस होता है। एक तरफ क्लास रूम में टीचर पढ़ा रहा होता है तो दूसरी तरफ वहीं पूरी बात घर बैठे स्टूडेंट के पास मोबाइल के जरिए पहुंच रही होती है। लेक्चरार राजन शर्मा ने बताया कि क्लास रूम ही सबसे अच्छा साधन है जहां बच्चे को अनुशासन में रहकर पढ़ाता है तथा भविष्य के लिए तैयार करता है। हाईब्रिड क्लास रूम में जो बच्चे पढ़ते हैं उन्हें पूरी बात समझ में आएगी लेकिन जो घर बैठे टीचर्स की बात सुन पाते है, उन्हें क्लास रूम में आकर ही टीचर्स से जानकारी लेनी पड़ती है।
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