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- Uproar In Ankur Kids Hospital, Jalandhar, Allegation Of Relatives: Bill Is Being Made By Treating The Dead Child; The Doctor Said: He Is Alive, Due To Not Being Able To Breathe Himself, Kept On Ventilator
जालंधर9 मिनट पहले
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अस्पताल के बाहर धरना देते परिजन।
जालंधर के अंकुर किड्स अस्पताल में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। यहां पहुंचे कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उनका 6 साल का बच्चा मर चुका है। फिर भी डॉक्टर उसे मशीन (वेंटिलेटर) पर रखकर इलाज कर रहे हैं, ताकि बिल बनाया जा सके। वहीं, डॉक्टर ने सफाई दी कि बच्चा खुद सांस नहीं ले पा रहा, इसलिए उसे वेंटिलेटर पर रखा हुआ है। उसका इलाज कर रहे हैं। हंगामे के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई है। दोनों पक्षों से बातचीत कर माहौल शांत करने की कोशिश की जा रही है।

बच्चे के बारे में जानकारी देती मां निशा।
बिस्तर पर बेसुध हुआ तो अस्पताल लेकर आए : मां
निशा ने बताया कि सोमवार को उसके 6 साल के बेटे बादल ने चाय पी। इसके बाद उसने कहा कि मुझे उलटी आ रही है। उन्होंने रिश्तेदार को दवा लेने भेज दिया। इसके बाद वह सोने की बात कहने लगा तो उन्होंने बच्चे को अपने साथ लिटा लिया। थोड़ी देर में उसका शरीर शांत हो गया तो उन्हें लगा कि बादल सो गया था। हालांकि जब उसे उलटी की दवाई देने के लिए उठाया तो बेसुध हालत में पड़ा था। इसके बाद वो पहले दूसरे अस्पतालों में गए और बाद में अंकुर किड्स अस्पताल में आ गए।

प्रदर्शनकारी परिजनों को समझाती पुलिस।
यहां पर किसी नर्स ने उन्हें बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं। वो अपने बच्चे के लिए जो दवाएं लेकर गए थे, वो किसी दूसरे को लगा दी गई। उन्हें बच्चे को किसी दूसरी जगह भी नहीं ले जाने दिया जा रहा है। जिस वजह से उन्होंने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया।
बच्चा कोमा जैसी हालत में, 3 दिन देखना पड़ता है : डॉक्टर
वहीं, बच्चे का इलाज करने वाले अंकुर अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत बहुत खराब थी। उसकी दिल की धड़कन काफी कम थी। सांस नहीं चल रही था। इसलिए उसे रिवाइव कर वेंटीलेटर पर डाला था। इस बारे में परिजनों को भी बता दिया था कि ब्रेन में इन्फेक्शन की वजह से बच्चा खुद सांस नहीं ले पा रहा।

बच्चे के इलाज के बारे में जानकारी देते डॉक्टर।
बच्चा लगभग कोमा की हालत में है और उसे उबरने के लिए 3 दिन का समय देना पड़ता है। हमने यह भी कहा था कि अगर वो हमारे इलाज से संतुष्ट नहीं हैं और कहीं दूसरे अस्पताल ले जाना चाहते हैं तो ले जा सकते हैं। हमारे हिसाब से बच्चा अभी जिंदा है और हम गरीब परिवार देखते हुए खुद दवाईयां लाकर उसका इलाज कर रहे हैं।
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