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अमृतसर7 घंटे पहले
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जलियांवाला बाग को देखते हुए लक्ष्मीकांता चावला।
भाजपा की पूर्व मंत्री रह चुकी लक्ष्मीकांता चावला सोमवार जलियांवला बाग को देखने पहुंची और जलियांवाला बाग स्मारक समिति पर उनका गुस्सा फूट पड़ा। लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि जिस कुएं में 120 से अधिक लोग मारे गए थे। उसके चारों तरफ शीशे लगाते हुए उसे डिब्बा बना दिया गया है। जिस गली से जनरल डायर फौज लेकर घुसा, वहां हंसते चेहरों के स्टैच्यू लगा दिए गए।
वहीं लक्ष्कीकांता चावला ने मांग उठा दी है कि समिति को बाग के नवीनीकरण में खर्च हुए 20 करोड़ रुपए का ब्यौरा बताना चाहिए। इतना ही नहीं जलियांवाला बाग की पुराना रूप वापस लाना चाहिए। हमें अपने इतिहास को समेट के रखना चाहिए, ना कि उसे नवीनीकरण का नाम देते हुए बदल ही देना चाहिए।

शहीदी कुआं, जिसपर कांच लगा दिया गया है।
लक्ष्कीकांता चावला ने बताया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखने वाली हैं। वह खत में उन्हें बताएंगी कि किसी प्रकार जलियांवाला बाग के लिए बनाई कमेटी ने इसकी रूपरेखा ही बिगाड़ कर रख दी है। जिस गली से डायर अपनी फौज लेकर दाखिल हुआ था, वहां हंसते चेहरे लगा दिए गए हैं। वह मांग करेंगी कि इस जलियांवाला बाग, जिससे पूरे देश के नागरिकों का जुड़ाव हैं, उन्हें पुराना रूप वापस दिलाया जाए। इतना ही नहीं 20 करोड़ रुपए कहां खर्च हुए, कमेटी को उसका हिसाब भी देना चाहिए। यह बात मानने में ही नहीं आ रही कि चार गैलरियों और कुछ स्टैच्यू बनाने के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं।

वो जगह, जहां से डायर ने खड़े होकर गोलियां चलाने का फरमान दिया, अब किसी के ध्यान में भी नहीं आती और वे उसे बिना देखे चला जाता है।
कुएं का अस्तित्व ही बदल दिया
लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि जिस कुएं में 120 से अधिक लोग मारे गए थे। उसका रूप ही बदल दिया गया है। उसके चारों तरफ शीशे लगाते हुए उसे डिब्बा बना दिया गया है। यह दिल को दुखा रहा है। इतना ही नहीं कुएं का पानी तक सुखा दिया गया है और वहां मिट्टी भर दी गई है। यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है।
बाथरूम की जगह अमर ज्योति लगा दी
चावला ने कहा कि अमर ज्योति को जगह ही बदल दी गई है। उसे उस जगह लगाया गया है जहां कभी बाथरूम हुआ करते थे। अगर बदलाव करना ही था तो उसे शहीदी लाट के पास स्थापित किया जा सकता था।
अगर टिकट बांटते हैं तो समझ लें बुरा वक्त शुरु है
चावला ने कहा कि बाहर टिकट काउंटर बनाए गए हैं। लेकिन अभी उन्हें चालू करने का कोई विचार नहीं है। लेकिन अगर वहां टिकट लगा दी जाती है तो ये जलियांवाला बाग के शहीदों का अपमान होगा। अगर ऐसा होता है तो समझ लेना चाहिए कि यह बुरा वक्त शुरू हो गया है।
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