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बलरामपुरएक घंटा पहले
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निजी स्कूलों को मान्यता दे तो दी जाती है, लेकिन इसके बाद स्कूल नियमों का पालन कर भी रहे हैं या नहीं कोई नहीं देखता। कई निजी स्कूल 1-2 साल चलने के बाद बंद हो जाते हैं, लेकिन उस स्कूल के छात्र इसके बाद भटकते रहते हैं। बलरामपुर जिले की सबसे बड़ी निजी स्कूल बाल विद्या निकेतन स्कूल की स्थापना वर्ष 1992 में हुई थी, जिसे पुलिस लाइन रोड में संचालित किया जा रहा था।
इस स्कूल में लगभग 12 सौ बच्चे अध्ययनरत थे। इसके बाद संस्था के संचालक ने वर्ष 2016 में स्कूल बंद कर दिया। अब स्कूल वीरान पड़ा है, लेकिन स्कूल में अध्ययनरत 12 सौ बच्चे किसी बड़े स्कूल या कॉलेज में या नौकरी पेशा में जुड़ गए हैं, लेकिन जब छात्र-छात्राओं या पेरेंट्स को दाखिल खारिज या नामांकन के लिए स्कूल आना पड़ता है, तो पता चलता है कि यह स्कूल बंद हो गया है और अपने दाखिल खारिज और नामांकन के लिए बच्चों को स्कूल संचालक से या पैरवी लगाने के बाद पैसा देने के बाद मिलता है। कइयों को नहीं भी मिलता है, जबकि ऐसे स्कूलों के कागजात को जिला प्रशासन या विभाग के अफसर अपने पास या उस क्षेत्र के सरकारी स्कूल को भेज सकते हैं, ताकि बच्चों को कागजात के लिए भटकना न पड़े। जिले में अनुदान प्राप्त निजी स्कूल बिना मापदंड के चल रहे हैं। ऐसे स्कूलों का जांच कर मान्यता रद्द की जा सकती है।
पत्र भेजकर कागजात कराएंगे जमा
जिला शिक्षा अधिकारी बी एक्का ने बताया कि जब स्कूल बंद हो जाते हैं तो उनका कागजात जब्त कर लिया जाता है या किसी नजदीकी शासकीय संस्था में जमा कर दिया जाता है। स्कूल संचालक को लिखित में पत्र भेजकर संपूर्ण दस्तावेजों को शासकीय संस्थान में जमा करवाया जाएगा।
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