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हिसार4 घंटे पहले
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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में हर साल लगने वाला मेला दो साल बाद लगने जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण दो साल से मेला आयोजित नहीं किया जा रहा था, लेकिन इस बार मेले का आयोजन किया जा रहा है। 8 और 9 सितंबर को यह दो दिवसीय किसान मेला लगेगा। इसमें खेतीबाड़ी से जुड़ी जानकारियां व तकनीकी ज्ञान किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है।
हर साल रबी व खरीफ सीजन में मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश के कोने-कोने से हजारों किसान पहुंचते हैं। हालांकि इस मेले में मुख्यातिथि मंत्री बनते रहे हैं, लेकिन इस बार किसान आंदोलन को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र मुख्यातिथि होंगे। कोरोना काल में ऑनलाइन मेला लगा था, लेकिन प्रदर्शनी नहीं होने के कारण किसानों को यह रास नहीं आया।

पहले लगे मेले का एक दृश्य।
फसल, बीजों व आधुनिक यंत्रों की प्रदर्शनी
किसान मेले में तरह-तरह की फसलों, बीचों और आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। फसल प्रतियोगिता भी करवाई जाती है। जिस किसान की फसल सबसे बढ़िया होती है, उसको इनाम दिया जाता है। इसके अलावा किसानों से खेती-बाड़ी से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं और उनको सम्मानित किया जाता है। मेले में देश के कोने-कोने सें कंपनियां आकर अपने आधुनिक उपकरण, फसलों व बीजों का प्रदर्शन करते हैं।
यहां पशुपालन संबंधी जानकारियां भी उपलब्ध करवाई जाती हैं। इन्ही सब रोचकताओं के कारण हजारों किसान हर साल मेले में भाग लेने के लिए आते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए किसानों को एंट्री गेट पर ही मास्क आदि उपलब्ध करवाए जाएंगे व जगह-जगह सैनिटाइजर का प्रबंध करवाया जाएगा। एक साथ ज्यादा भीड़ जमा न हो, इसका भी प्रबंध करवाया जाएगा।

पहले लगे मेले का एक दृश्य।
सफल संचालन के लिए गठित की गई कमेटियां
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने बताया कि दिन प्रतिदिन गिरते भूमिगत जलस्तर के संरक्षण के लिए केंद्र व राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत हैं। किसानों को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके चलते इस बार किसान मेले की थीम जल संरक्षण रखी गई है, ताकि किसानों को जल की महत्ता से अवगत करवाते हुए जल संरक्षण की आधुनिक तकनीकों के बारे में बताया जा सके। किसान मेले को सफल बनाने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से कमेटियों को गठन कर दिया गया है।
साथ ही मेले में प्रदर्शनी लगाने के लिए भी आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रदर्शनियों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा सके। मेले में प्रदर्शनी के लिए काफी संख्या में आवेदन आ रहे हैं। इसलिए पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्टॉल आवंटित की जाएंगी। मेले के दौरान विश्वविद्यालय के लगभग सभी महाविद्यालयों की ओर से प्रदर्शनी लगाई जाएंगी और विभिन्न फसलों की विकसित किस्मों की जानकारी दी जाएगी।
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