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- Farmers Protest (Kisan Andolan); Haryana Karnal Kisan Mahapanchayat Update | Rakesh Tikait, Manohar Lal Khattar Government
करनाल6 घंटे पहले
हरियाणा के करनाल में लघु सचिवालय पर किसानों का धरना तीसरे दिन भी जारी है। धरनास्थल पर 1000 से ज्यादा किसान डटे हुए हैं और लोगों के आने का सिलसिला जारी है। प्रशासन ने नजर रखने के लिए धरनास्थल के चारों ओर CCTV कैमरे लगाए हैं, ताकि अंदर बैठकर ही सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। वहीं इंटरनेट और SMS सेवा गुरुवार रात 12 बजे तक बंद कर दी गई है। प्रदर्शनकारी बसताड़ा टोल पर लाठीचार्ज के दिन किसानों का सिर फोड़ने का आदेश देने वाले IAS आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग कर रहे हैं। वहीं किसानों ने 11 सितंबर को महापंचायत का फैसला लिया है।
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लघु सचिवालय के बाहर किसानों की भीड़ को देखते हुए धरनास्थल पर CCTV से निगरानी की जा रही है।
प्रशासन नहीं माना तो 11 को महापंचायत
भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान नेता प्रशासन के बार-बार बुलाने पर मीटिंग के लिए गए, लेकिन अधिकारियों से एक बार भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। किसान अब भी हर बार बुलावे पर वार्ता के लिए तैयार हैं। यदि प्रशासन एसडीएम को सस्पेंड नहीं करता है तो 11 सितंबर को प्रदेश के सभी संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत जिला सचिवालय धरनास्थल पर आयोजित करेंगे।
डीसी बोले- हठधर्मिता छोड़ें किसान
उधर, उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने किसानों से अपील की है कि वे हठधर्मिता छोड़कर बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने में सहयोग करें। तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई के मामले में डीसी ने कहा कि मामले की जांच मुख्य सचिव के आदेशों पर ही हो सकती है, रिपोर्ट मिलने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। किसान जांच प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं तो उसका स्वागत किया है। यिद किसान मामले की जांच किसी अन्य स्तर पर करवाना चाहते हैं तो उनकी उस मांग पर भी विचार किया जा सकता है।
इससे पहले गुरुवार को आम लोगों के कामों के लिए सचिवालय के सभी ऑफिस खोले गए। एंट्री के लिए वकीलों के चैंबर्स की तरफ वाला रास्ता खोला गया। वहीं किसानों ने अपने धरने को सड़क की एक लेन में शिफ्ट कर लिया। सड़क की दूसरी लेन आने-जाने के लिए रास्ता खोल दी गई। उधर जिला प्रशासन ने किसानों की सहमति से जिला सचिवालय का मुख्य गेट भी आम जनता के लिए खुलवा दिया। इससे पहले बुधवार को किसान नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के बीच सहमति न बन पाने के चलते सवा तीन घंटे चली वार्ता विफल हो गई थी।

किसानों के धरने के चलते सरकारी कामों के लिए आने वाले लोगों की संख्या कम ही दिख रही है।
टिकैत रात में ही निकल गए थे नोएडा, चढूनी के हाथ कमान
किसान नेता राकेश टिकैत बीती रात नोएडा के लिए निकल गए थे। अब गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में धरना जारी है। चढूनी ने कहा है कि गेहूं की MSP में सिर्फ 40 रुपए की बढ़ोतरी बहुत ही शर्मनाक है। सरकार ने सिर्फ 2 फीसदी बढ़ोतरी की है, जबकि महंगाई दर 7-8% बढ़ रही है। वहीं किसान नेता बलदेव सिरसा ने कहा कि जब तक सरकार किसानों से बातचीत नहीं करती तब तक ऐसी बढ़ोतरी का कोई मतलब नहीं है। सरकार को चाहिए कि वो MSP में बढ़ोतरी से पहले किसानों से चर्चा करे, तभी इसका फायदा होगा।

बुधवार को किसानों के बीच पहुंचे थे राकेश टिकैत।
IG ने किया दौरा, दिशा निर्देश दिए
करनाल रेंज की IG ममता सिंह ने कानून-व्यवस्था का जायदा लेने के लिए शहर का दौरा किया और धरनास्थल पर पहुंचकर फोर्स की हर टुकड़ी से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सभी पुलिसकर्मी संयम के साथ डयूटी पर तैनात हैं। हर तरह की उचित व्यवस्था की गई है।
शिफ्टों में रहेगी पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की ड्यूटी
घेराव के तीसरे दिन पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर तैनात पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की कपंनियों की ड्यूटी तीन शिफ्टों में बांट दी। एक कंपनी के जाने के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी कंपनी ड्यूटी देगी। धरनास्थल और शहर में सुरक्षा व्यवस्था के लिए 40 कंपनियों को बुलाया गया है। मेवात, भिवानी, रेलवे अंबाला, कैथल और पानीपत के SP समेत 25 DSP, 40 इंस्पेक्टर व्यवस्था में लगाए गए हैं। करनाल, गुरुग्राम, रोहतक, हिसार, रेवाड़ी रेंज की फोर्स जिले में आई हुई है। 10 कंपनियाें में BSF, CRPF, RAF, ITBP शामिल हैं।

सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था के लिए लघु सचिवालय के बाहर तैनात पैरामिलिट्री के जवान।
किसान क्यों कर रहे आंदोलन और अब तक क्या हुआ?
28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। इसके विरोध में किसानों ने 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में महापंचायत की थी। फिर 30 अगस्त को भारतीय किसान यूनियन ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करक हरियाणा सरकार से तीन मांगें रखी थीं। साथ ही महापंचायत और लघु सचिवालय का घेराव करने की घोषणा की थी। 6 सितंबर को प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी।
मंगलवार को किसानों ने महापंचायत में जमावड़े को देखते हुए प्रशासन ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बातचीत का न्योता भी भेजा। दोपहर में राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और दर्शनपाल के नेतृत्व में 15 सदस्यीय कमेटी लघु सचिवालय पहुंची। फिर 3 दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता सिर फोड़ने का आदेश देने वाले तत्कालीन SDM आयुष सिन्हा के निलंबन पर अड़ गए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद बलबीर सिंह राजेवाल के आदेशों के बाद किसानों ने लघु सचिवालय की ओर कूच किया।
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