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चंडीगढ़25 मिनट पहलेलेखक: गौरव मारवाह
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योगराज सिंह, कपिल देव, कोच डीपी आजाद और चेतन शर्मा।
‘आजाद साहब का अनुशासन ही था जो आज भी हमें फायदा दे रहा है। अनुशासन सिर्फ क्रिकेट से नहीं, जीवन की हर चीज से जुड़ा है। मुझे अनुशासन का पहला पाठ उन्होंने ही पढ़ाया। हमें मैदान पर तीन बजे आना होता था, अगर 5 मिनट भी देर हुई तो सजा थी- आप दो दिन तक न बैटिंग करेंगे, न बॉलिंग।
मैदान की सीढ़ियों पर बैठना पड़ता था। एक दिन देरी पर दो दिन की सजा तो दो दिन देरी पर पांच दिन की सजा। इसके बाद सभी समय पर आते और आधा घंटा पहले ही मैदान पर पहुंचते।’ अपने टीचर, गुरु, गाइड देशप्रेम आजाद को याद करते हुए ये बात कही बीसीसीआई के चेयरमैन सेलेक्शन कमेटी चेतन शर्मा ने।
अपनी चीजों का सम्मान करना सीखा
हमने कभी स्पोर्ट्स शूज जीन्स के नीचे नहीं पहने, आजाद सर कहते थे- ये आपकी रोजी रोटी है। इसे आप हर जगह नहीं पहन सकते, घूमने के लिए नहीं पहन सकते। इसकी हमें आदत हो गई है। कब की सिखाई चीज है वो आज भी हमारे लिए नियम है, हमने यही सीख अपने बच्चों को दी है।
मेरे लिए गुरु ही सब कुछ रहे हैं
क्रिकेट मेरा भगवान है तो उसका रास्ता गुरु आजाद ने दिखाया। मैं उनके पास 9 साल की उम्र में आया था। खेलते हुए भी उन्होंने सिखाया और रिटायरमेंट के बाद कमेंट्री के दौरान भी। वे ही बताते थे कि ये नहीं कहना या वो कहना बेहतर है। वे हर समय साथ रहे। इसके अलावा हमें कपिल देव जैसे मेंटर मिले। वे भी मेरे करियर में बड़ा रोल अदा करते हैं।
वे जानते थे खिलाड़ी को क्या चाहिए
आज प्लेयर्स को काफी मैच खेलने को मिलते हैं लेकिन तब ऐसा नहीं था। तब आजाद साहब हमें एक्सपोजर देते थे। वे नेट प्रैक्टिस पर भी जोर देते थे। पूरा स्टेडियम ग्रुप में बंटा था। सीनियर, जूनियर और सब-जूनियर। मैं जूनियर था और सीनियर के नेट में कपिल देव, योगराज सिंह, अशोक मल्होत्रा, राकेश जौली, रविंदर चड्डा जैसे स्टार बॉलिंग कर रहे होते। हमें कहा जाता था कि अच्छी बॉल करोगे तो सीनियर नेट्स में मौका मिलेगा। ये एक बड़ा ईनाम था, अच्छा खेलेगा तो सीनियर नेट्स में खेलेगा। सर लालच देकर हौसला बढ़ाते थे।
आपे से बाहर नहीं होने देते थे
तब कपिल पाजी मैदान पर आते तो आजाद साहब के कहने पर सभी को सम्मानित करते। किसी को पैड मिलते तो किसी को ग्लव्ज, किसी से फोटो खिंचाते, मुझे नेट्स में बॉलिंग करने को मिलती। वो हमेशा मिडल विकेट पर खेलते थे। मैंने उन्हें बाउंसर मारा तो उन्होंने छक्का जड़ दिया। उन्होंने कोच को कहा कि इयान बॉथम को खेलकर आया हूं, ये उससे तेज बॉल करता है। मैं तब 16 साल का था, लेकिन आजाद साहब ने मुझे कंट्रोल किया। वो कभी प्लेयर को आपे से बाहर नहीं जाने देते थे, अगर कोई आपे से बाहर होता तो उसे कोच मैदान से ही बाहर कर देते थे।
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