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- Mayer Said Increase The Lights By 15%, The Company Accepted The Condition; Now Both Will Work According To The Agreement
लुधियाना19 घंटे पहले
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मीटिंग में मेयर ने स्टाफ की कमी और कमजोर बुनियादी ढांचे का किया खुलासा
- निगम और टाटा कंपनी के बीच चल रहे घमासान पर चीफ सेक्रेटरी ने लगाया विराम
स्मार्ट सिटी मिशन प्रोजेक्ट के तहत शहर के 95 वॉर्डों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) के तहत पुरानी स्ट्रीट लाइटों को बदलकर टाटा प्रोजेक्ट कंपनी ने एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई हैं, लेकिन शहर में ज्यादातर इलाकों में रात के समय लाइटें न जलने और वॉर्डों में कम लाइटें लगाने का मुद्दा पिछले कुछ दिनों पहले गर्माया गया। विवाद बढ़ता देख लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट के चीफ सेक्रेटरी एके सिन्हा ने चंडीगढ़ में मीटिंग बुलाई।
जहां मेयर बलकार संधू, निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल की अगुवाई में सभी दलों के प्रतिनिधियों का शिष्टमंडल वहां पहुंचा। इस दौरान स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के मुख्य अधिकारी अजॉय सिन्हा और टाटा के राजिंदर ईनानी, मनोज कपूर मौजूद रहे। करीब डेढ़ घंटा चली मीटिंग में फैसला हुआ कि कंपनी और निगम तय एग्रीमेंट के अनुसार ही काम करेंगे। इस मौके पर सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, डिप्टी मेयर सरबजीत कौर, पार्षद ममता आशु, पाल सिंह गरेवाल, मनी गरेवाल, कुलदीप जंडा, राकेश पराशर, हरभजन सिंह डंग, स्वर्णदीप सिंह चाहल, दीपू शर्मा भी मौजूद रहे।
मीटिंग में मेयर ने स्टाफ की कमी और कमजोर बुनियादी ढांचे का किया खुलासा
मेयर बलकार संधू समेत सभी प्रतिनिधियों ने मुख्य रूप से शहर में कंपनी के पास स्टाफ की कमी और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण सर्विस में कमी रहने, मिसिंग पॉइंट्स पर नई लाइटें न लगाने और अंधेरे इलाकों में 15% नई लाइटें न लगाने की शिकायतें दर्ज करवाईं। टाटा कंपनी ने भी पिछले कई महीनों से बिल रोकने और समय पर पेमेंट न करने, कॉन्ट्रेक्ट और शहर की जरूरतों के मुताबिक बुनियादी सहयोग और फंड मुहैया न करवाने का आरोप लगाए।
एग्रीमेंट की शर्तें बताईं तो बैकफुट पर आए निगम अफसर
टाटा कंपनी के राजिंदर ईनानी और उनके लीगल एक्सपर्ट ने बैठक में सिद्ध किया कि एग्रीमेंट के अनुसार टाटा शहर में 1.05 लाख पुराने पॉइंटों और मौजूदा इलाके में जितने पॉइंट बढ़ाये जाएंगे, उनकी एनर्जी सेविंग और मेंटेनेंस चार्जेस लेने की हकदार रहेगी, मगर अगर शहर में नया इलाका जोड़ा जाएगा तो वहां केवल मेंटेनेंस चार्जेस मिलेंगे। इस पर मुख्य सचिव सिन्हा और अजॉय सिन्हा ने निगम अधिकारियों और कमिश्नर को कहा कि एग्रीमेंट से स्पष्ट है कि टाटा कंपनी को फालतू लाइटें लगाने पर एनर्जी सेविंग और अन्य भत्ते मिलने चाहिएं।
कंपनी को इन पहलुओं पर करना होगा काम
चीफ सेक्रेटरी ने टाटा कंपनी के नुमाइंदों काे स्पष्ट शब्दों में कहा कि कंपनी हर जोन में अपना दफ्तर बनाए, स्टाफ बढ़ाकर हर वॉर्ड के लिए कम से कम एक लाइनमैन रोज़ाना तैनात करेगी, जोकि इलाका पार्षद के संपर्क में रहेगा। टाटा बुनियादी ढांचा मजबूत और सुनिश्चित करे कि एग्रीमेंट के मुताबिक 2% से ज्यादा लाइटें बंद न हों और शिकायतें 24 से 48 घंटों में हल होनी चाहिएं। कंपनी रेगुलर पेट्रोलिंग करेगी एवं ऑनलाइन शिकायत प्रणाली दुरुस्त करेगी। जबकि चीफ सेक्रेटरी स्वयं या उनका प्रतिनिधि व्यक्तिगत तौर से टाटा का बुनियादी ढांचा और स्टाफ चेक करेंगे। कंपनी दस दिन में अपनी जरूरतें नगर निगम को लिखकर देगी, जिसे पूरा करवाने के लिए वह प्रयास करेंगे। अगले एक महीने में कंपनी सभी शिकायतें दूर करे, वर्ना निगम लुधियाना उनका करार रद्द करने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपना सकती है। इस पर कंपनी के नुमाइंदों ने सभी शर्तों को मानते हुए शहर में सुचारू ढंग से सारी व्यवस्था को चलाने की हामी भरी।
पहले का जुगाड़ू सिस्टम ठीक नहीं- अग्रवाल
भाजपा लोकल बॉडीज सेल इंचार्ज और पार्षद पति इंद्र अग्रवाल भी इस मीटिंग में शामिल रहे। उन्होंने कहा कि दोनों एग्रीमेंट के मुताबिक टाटा कंपनी और निगम सही काम करें, क्योंकि शहर में पुराने सिस्टम लागू हो गया तो फिर से समस्याएं खड़ी रहेंगी और बिजली चोरी होने समेत इलाके ज्यादातर अंधेरे में ही डूबे रहेंगे, क्योंकि पहले निजी-छोटे ठेकेदार तो जुगाड़ू ढंग से काम चला रहे थे।
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