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पंचकूलाएक दिन पहलेलेखक: संदीप काैशिक
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- बाहर से दवाइयां और टेस्ट करवाने को लेकर हिदायतें जारी, 15 दिन बाद रिकॉर्ड की जांच हाेगी
जनरल अस्पताल में अब प्लेन पेपर पर न ताे मरीजाें से बाहर की दवाइयां मंगवाई जाएंगी और न ही टेस्ट करवाए जाएंगे। अस्पताल में एडमिट मरीज के इलाज में अगर बहुत जरूरी है ताे ही बाहर से दवाई और टेस्ट करवाने के लिए लिखा जाएगा। वाे भी उस स्लिप पर लिखा जाएगा, जाे अस्पताल की ओर से जारी की गई है, जिसका अस्पताल के पास पूरा रिकाॅर्ड भी हाेगा। जिसमें ये भी पता चलेगा कि किस मरीज के लिए किस डाॅक्टर ने काैन सी दवाई या टेस्ट बाहर से करवाने या लाने के लिए लिखा है।
ये वाे दवाइयां हाेंगी जाे या ताे अस्पताल में नहीं हाेंगी या मरीज के इलाज में बेहद जरूरी है। ये भी साफ कर दिया है कि अगर काेई डाॅक्टर स्लिप पर बाहर से दवाइयां मंगवाता है या टेस्ट करवाता है ताे वह अपनी जिम्मेवारी पर फैसला लेगा। इसमें अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग जिम्मेवार नहीं हाेगा। मरीजाें और उनके परिजनाें काे भी साफ किया है कि प्लेन पेपर पर काेई डाॅक्टर लिखे ताे वह मान्य नहीं है। अगर बाहर से दवाइयां ला रहे है ताे अस्पताल की स्लिप पर ही लाएं।
सुबह के वक्त चेकिंग हाेने के कारण अब एमआर ने शाम की ओपीडी काे टारगेट बना लिया है। जितने एमआर सुबह आते हैं, उतने ही शाम काे भी एमआर ओपीडी में आते है। इसकी भी सूचना पीएमओ ऑफिस के पास है, जिसके लिए भी जांच करने के लिए कार्रवाई की जा रही है। लेकिन ग्राउंड लेवल पर सख्ती हाेती नहीं दिखाई देती।
अब अस्पताल की ओर से जारी होगी स्लिप
सिविल अस्पताल पंचकूला की ओर से स्लिप जारी की गई है। जिस पर तारीख, सीरियल नंबर, मरीज का नाम, यूएचआईडी नंबर लिखा है। किस वार्ड में मरीज एडमिट है, उस वार्ड का इंचार्ज काैन है, उसका नाम भी इस स्लिप पर लिखना हाेगा। इसके बाद वे दवाइयां, कंज्यूमेबल, डाॅक्टर की ओर से बाहर से करवाने के लिए बाेले गए टेस्ट जाे सिविल अस्पताल में उपलब्ध नहीं है वह भी लिखनी हाेगी, जिसके बाद संबंधित डाॅक्टर और उस वक्त तैनात नर्सिंग स्टाफ का नाम और साइन भी इस स्लिप पर किए जाएंगे। इसका पूरा रिकाॅर्ड अस्पताल के पास भी रहेगा। रिकॉर्ड महीने में 15 दिन बाद जांच भी की जाएगी।
एमआर काे लेकर कई डाॅक्टराें काे दी जा चुकी है वाॅर्निंग
कई बार शिकायतें ओन के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से एमआर काे लेकर चेकिंग की गई। चेकिंग के दाैरान ओपीडी के बाहर एमआर भी पाए गए। कुछ डाॅक्टराें काे वाॅर्निंग भी दी गई और उसके बाद से वहां पर एमआर नहीं पाए गए। हालांकि, अब भी कुछ ओपीडी के बाहर एमआर माैजूद रहते हैं। जिसे लेकर अस्पताल प्रबंधन की ओर से चेकिंग के लिए प्लानिंग की जा रही है। इस दाैरान अगर किसी डाॅक्टर के पास एमआर मिला ताे उनके खिलाफ लिखित कार्रवाई भी की जा सकती है।
कुछ दिनाें पहले डीजी हेल्थ की ओर से निर्देश आएथे, जिसके बाद ही इस पर्ची काे जारी किया है। अगर काेई डाॅक्टर एडमिट मरीज से बाहर की दवाई मंगवाता है ताे वाे अपने रिस्क पर इस पर्ची पर मंगवाएगा। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स के भी साइन हाेंगे। ये वाे दवाई हाेगी जिसका या ताे स्टाॅक अस्पताल में नहीं है या मरीज के हित में मंगवाना जरूरी हाे। हर 15 दिन बाद इन सभी पर्चियाें का ऑडिट हाेगा, पता लगाया जाएगा कि आखिर क्याें दवाइयां या टेस्ट काे बाहर से लाना पड़ा या करवाना पड़ा।
– डाॅ. सुवीर सक्सेना, पीएमओ, जनरल अस्पताल
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