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मलाला ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर कहा कि वे तो पाकिस्तान क्या किसी भी देश में सुरक्षित नहीं हैं।
मेरा सपना है भारत-पाकिस्तान के बीच सीमाओं की बंदिशें न हों.. धर्म और मजहबी विभाजन वाले पुराने खयालात खत्म हों। यह ख्वाहिश है नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई का। मलाला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के समापन पर अपनी किताब ‘आई एम मलाला : द स्टोरी ऑफ द गर्ल हू स्टुड अप फॉर एजुकेशन एंड शॉट बाई द तालिबान’ पर वर्चुअली बात कर रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘हम बॉलीवुड फिल्में और क्रिकेट देखना चाहते हैं, भारत के लोग भी पाकिस्तानी नाटक देखना जारी रख सकते हैं। दोनों कौमें शांति और सुकून से रहें..बस यही मेरा सपना है।’
‘अल्पसंख्यक पाकिस्तान में भी असुरक्षित’
मलाला ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर कहा कि वे तो पाकिस्तान क्या किसी भी देश में सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मसला है तो हर देश में इनको सुरक्षा की जरूरत है। चाहे वह पाकिस्तान हो या भारत। यह मसला धर्म से नहीं जुड़ा है, बल्कि अधिकारों के हनन से जुड़ा हुआ है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
‘हमारे बीच ये नफरत क्यों पैदा हुई’
उन्होंने कहा, ‘आप भारतीय हैं और मैं पाकिस्तानी हूं और हम पूरी तरह से ठीक हैं, फिर हमारे बीच यह नफरत क्यों पैदा हुई है? सीमाओं, विभाजनों, फूट डालो और राज करो की पुरानी नीति… ये अब काम नहीं करती हैं, क्योंकि हम सभी शांति से रहना चाहते हैं। भारत और पाकिस्तान के असली दुश्मन गरीबी, भेदभाव और असमानता है और दोनों देशों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए, न कि एक-दूसरे से लड़ना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के मसले पर भी बोलीं
मलाला ने कहा कि इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाया जाना और भारत में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की खबर चिंताजनक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार लोगों की मांगों पर ध्यान देना सुनिश्चित करेगी।
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