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टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड की 3-1 से हार के बाद क्रिकेट जगत में भारतीय पिचों को लेकर जमकर बातें हो रही हैं। पूर्व इंग्लिश कप्तान माइकल वॉन ने टर्निंग पिच की जमकर आलोचना की। वहीं, लीजेंड सुनील गावस्कर जैसे कुछ दिग्गजों ने आलोचनाओं को गलत बताया है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने सीरीज जीतने के बाद यह तक कह दिया था कि विदेशियों को यह समझ लेना चाहिए कि भारतीय महाद्वीप में ऐसी ही पिचें मिलेंगी।
आलोचनाओं के बीच एक नई बहस सामने आई है कि क्या भारत में भी तेज गेंदबाजों की मददगार पिच बनानी चाहिए? क्योंकि टीम इंडिया के पास इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव जैसे गेंदबाज हैं, जो किसी भी कंडीशन में विकेट ले सकते हैं।
पिछले 3 साल यानी 1 जनवरी 2018 से रिकॉर्ड देखें तो दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले टॉप-10 तेज गेंदबाजों में तीन भारतीय हैं। इन तीनों पेसर्स शमी, बुमराह और इशांत ने मिलकर 3 साल में 245 विकेट झटके हैं। शमी ने 23 टेस्ट में 85, बुमराह ने 19 मैच में 83 और इशांत ने 22 टेस्ट में 77 विकेट लिए हैं।
टॉप-15 विकेट टेकर्स में सिर्फ दो स्पिनर
ओवरऑल टॉप-15 विकेट टेकर्स में सिर्फ दो ही स्पिनर नाथन लायन और रविचंद्रन अश्विन हैं। तीसरे नंबर पर काबिज ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर लायन ने 27 टेस्ट में 113 लिए, जबकि अश्विन 23 टेस्ट में 105 विकेट के साथ चौथे नंबर पर हैं।

हर टीम होम ग्राउंड का फायदा उठाती है
बहस के बीच गावस्कर और कोहली समेत कई दिग्गजों ने यह भी कहा कि हर टीम अपने घर का फायदा उठाती है। अपने मन मुताबिक पिच बनाती है। यदि विदेशी टीमों को यहां जीतना है, तो उन्हें स्पिन खेलना आना चाहिए। दिग्गजों का कहना है कि जब एशियाई टीमें बाहर जाती हैं, तो उन्हें भी स्पिन पिच नहीं मिलती। विदेशी टीमें अपने मुताबिक तेज गेंदबाजों की मददगार पिच बनाती हैं।
- क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन ने Newsline से कहा कि हम पिच को क्यों बदलें, इससे क्या फायदा होगा? यह जबरन की बहस है। हर टीम अपने होम ग्राउंड का फायदा उठाती है। भारत के पास क्वालिटी पेस बॉलर हैं, जिसकी बदौलत हम विदेशों में जीतने लगे हैं। जब घर में खेलते हैं, तो हमें अपनी स्पिन ताकत के साथ ही उतरना चाहिए। ऐसी ही पिच होनी चाहिए। इंग्लैंड को भी 2-3 दिन में हरा दिया। उन्हें स्पिन खेलना सीखना चाहिए।
भारतीय घरेलू क्रिकेट में फास्ट बॉलिंग पिच हो
हालांकि, इससे इतर पूर्व भारतीय पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह समेत कई एक्स्पर्ट्स का मानना है कि भारतीय घरेलू क्रिकेट में तेज गेंदबाजों की मददगार पिचें होना चाहिए। इससे हमारे यहां भी क्वालिटी पेसर्स सामने आएंगे और हम विदेशों में जीतने लायक बनेंगे। यह परंपरा भारत में शुरू हो चुकी है। यही कारण है कि जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, टी नटराजन और नवदीप सैनी जैसे बॉलर सामने आ रहे हैं।
- BCCI में 22 साल तक पिच क्यूरेटर रहे दलजीत सिंह ने Newsline से कहा कि पहले रणजी में मैच के पहले दिन से ही बॉल स्पिन होने लगती थी। पिछले कुछ सालों से यह परंपरा बदली है। पिच में भी बदलाव हुआ है। अब पहले एक-दो दिन पिच से तेज गेंदबाजों और बल्लेबाजों को भी मदद मिलती है। यही कारण है कि सिराज, नटराजन, सैनी और बुमराह जैसे बॉलर निकलकर सामने आए हैं।
- दलजीत सिंह ने कहा कि विदेशी टीमें अपना घरेलू क्रिकेट तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पर ही खेलती हैं। यही कारण है कि वे एशियाई स्पिन पिच पर कुछ खास नहीं कर पाती हैं। भारतीय क्रिकेट में बदलाव हो रहा है। यहां तेज गेंदबाजों की मददगार पिच भी बन रही हैं, जिससे हम विदेशों में भी अच्छा कर रहे हैं।

टेस्ट क्रिकेट के लिए किस तरह की पिच नहीं होनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि टेस्ट में ऐसी पिच नहीं होनी चाहिए, जिस पर दो या तीन दिन में रिजल्ट आ जाए। ऐसी पिच भी नहीं तैयार की जानी चाहिए, जहां बिना परिणाम के ही टेस्ट समाप्त हो जाए। अगर टेस्ट को जिंदा रखना है तो विभिन्न देशों के बोर्ड को चेन्नई जैसी पिच को बढ़ावा देना होगा। टेस्ट के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर पिच तैयार करना होगा, ताकि पांचवें दिन तक इसका रिजल्ट आए और लोगों की रुचि पहले दिन से अंतिम दिन तक बनी रहे।
टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 3-1 से हराया
- सीरीज के शुरुआती 2 टेस्ट चेन्नई और बाकी 2 मैच अहमदाबाद में खेले गए थे। पहला मैच इंग्लैंड ने 227 रन से जीता था। इस मैच में पहले 2 दिन तेज गेंदबाजों और बल्लेबाजों को मदद मिल रही थी। ऐसे में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लिश कप्तान जो रूट ने 218 रन की पारी खेली थी। आखिरी 3 दिन पिच से स्पिन को मदद मिलने लगी थी, जहां भारतीय बल्लेबाज स्ट्रगल करते दिखे और मैच गंवा दिया था।
- पहली पारी में बुमराह ने 3 और इशांत ने 2 विकेट लिए थे। इंग्लिश पेसर जेम्स एंडरसन और जोफ्रा आर्चर को भी 2-2 विकेट मिले थे। इसके बाद स्पिन पिच हुई तो एक पारी में डॉम बेस और जैक लीच ने 4-4 और भारतीय स्पिनर अश्विन ने 6 विकेट भी लिए।
- दूसरा मैच भी चेन्नई में हुआ, जो भारत ने 317 रन से जीता। इस मैच में कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी थी। जहां रोहित शर्मा ने 161 और अजिंक्य रहाणे ने 67 रन की पारी खेली थी। तीसरा टेस्ट अहमदाबाद में डे-नाइट खेला गया। यहां इंग्लिश टीम 3 तेज गेंदबाज और इंडिया 3 स्पिनर के साथ उतरी थी। भारतीय टीम ने 2 दिन में मैच 10 विकेट से जीत लिया था। इसी मैच से भारतीय पिचों की आलोचना शुरू हुई थी, क्योंकि इस मैच में 30 विकेट गिरे थे, जिसमें 28 स्पिनर्स ने लिए।
- आखिरी मुकाबला भी अहमदाबाद में खेला गया, जो टीम इंडिया ने तीन दिन में पारी और 25 रन से जीत लिया था। इस मैच में ऋषभ पंत ने 101 और वॉशिंगटन सुंदर ने नाबाद 96 रन की पारी खेली थी। पूरी सीरीज में अश्विन ने 4 मैच में सबसे ज्यादा 32 और अक्षर ने 3 टेस्ट में 27 विकेट झटके। तीसरे नंबर पर इंग्लिश स्पिनर जैक लीच ने 4 टेस्ट में 18 विकेट लिए।
अकेले अक्षर ने सीरीज में टॉप-5 फास्ट बॉलर्स के बराबर विकेट लिए
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में तेज गेंदबाज पूरी तरह नाकाम रहे थे, क्योंकि पिच स्पिन की मददगार थी। टॉप-5 पेसर्स ने मिलकर कुल 27 विकेट झटके, जबकि इतने विकेट अकेले स्पिनर अक्षर पटेल ने ही ले लिए। पेसर्स में सबसे ज्यादा 8 विकेट एंडरसन ने लिए। दूसरे नंबर पर इशांत रहे, जिन्होंने सिर्फ 6 विकेट झटके। बेन स्टोक्स ने 5 विकेट लिए, जबकि ओली स्टोन और आर्चर को 4-4 विकेट मिले।

चौथे टेस्ट से पहले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने कुछ इस तरह से भारतीय पिचों का मजाक उड़ाया था।
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