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- 796 Victims Went To The Police Station, SP Office, If The Hearing Was Not Done, They Had To File An FIR After Spending 39 Lakhs From The Court
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दुष्कर्म के 813 मामलों की जांच पेंडिंग। प्रतीकात्मक फोटो
- 15 फीसदी पीड़िताओं को आज भी एफआईआर के लिए कोर्ट का लेना पड़ता है सहारा
राजस्थान में 30 हजार से ज्यादा पीड़ितों को 15 करोड़ रुपए (प्रति केस पांच हजार) खर्च कर कोर्ट से मामले दर्ज कराने पड़े। दुष्कर्म पीड़िताओं के 5310 मुकदमों में 15% यानी 796 मामले भी 39 लाख खर्च से कोर्ट से ही दर्ज हुए। क्राइम ब्रांच से मिले 2020 के आंकड़ों के जरिए इसका खुलासा हुआ हैं। हाईकोर्ट के वकील अभिषेक पारासर के अनुसार इस्तगासे से मुकदमे की प्रकिया आम आदमी नहीं जानता, जिसके लिए वकील करीब पांच हजार रुपए शुल्क लेते हैं। एडीजी क्राइम रविप्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि कुछ लोग थाने आने के बजाए काेर्ट का ही विकल्प चुनते हैं।
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कांस्टेबल ने किया था दुष्कर्म सीधे एफआईआर ही नहीं ली
सीकर की युवती ने कोटा में तैनात कांस्टेबल के खिलाफ मालवीयनगर थाने में सितंबर में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने की रिपोर्ट दी गई थी। कुछ नहीं हुआ तो डाक से परिवाद डीसीपी ऑफिस भी भेजा। लेकिन इसके बावजूद सुनवाई नहीं हुई तो युवती कोर्ट पहुंची। कोर्ट से कांस्टेबल व मुकदमा दर्ज नहीं करने वाले थाना प्रभारी के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया।
अलवर गैंगरेप के बाद थानों पर कार्रवाई के नियम भी
2019 में अलवर में हुई गैंगरेप की घटना के बाद फ्री रजिस्ट्रेशन व्यवस्था शुरू की गई। थाने में मुकदमा न हो तो एसपी कार्यालय में दर्ज करा सकता है। अलग से डेस्क भी बनीं। कानूनन एसपी कार्यालय को मुकदमा दर्ज नहीं करने के लिए थाने पर कार्रवाई करनी चाहिए। अलवर वाले मामले में ऐसा हुआ भी था। लेकिन इसके बाद जिम्मेदारों पर एक भी मुकदमा नहीं हुआ।
दुष्कर्म के 813 मामलों की जांच पेंडिंग
इस्तगासे से दर्ज 30,010 मुकदमों में पुलिस ने 5916 मुकदमों में आरोप प्रमाणित माने। 11 हजार को झूठा मान एफआर लगा दी। 6708 की जांच पेंडिंग है। दुष्कर्म के कुल 813 मामलों की जांच पेंडिंग है।
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