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किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।
किसान आंदोलन लेकर होने वाली बयानबाजी के लिए भारत ने बिना किसी का नाम लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) को जमकर सुनाया। UNHRC के 46वें सत्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने कहा कि भारत सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति पूरा सम्मान दिखाया है। सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर बातचीत में लगी हुई है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इंद्रमणि पांडेय ने UNHRC उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की किसान आंदोलन पर की गई टिप्पणी पर निशाना साधते हुए कहा कि निष्पक्षता और तटस्थता किसी भी मानवाधिकार मूल्यांकन की पहचान होनी चाहिए। हमें खेद है कि कुछ बयानों में इन दोनों की कमी है।
उन्होंने कहा कि भारत ने 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य का रखा है। कृषि सुधार के लिए लाए गए तीनों नए कानून उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने और उनकी आय बढ़ाने के उद्देश्य से लाए गए थे।
ये कहा था UNHRC ने
फरवरी की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने भारत सरकार और प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने की अपील की थी। इंटरनेट पर लगाई गई पाबंदियों पर UNHRC ने कहा था कि ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होने और अपनी बात रखने के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।
बैचलेट ने कहा था कि किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग या टिप्पणी करने वाले पर जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट पर मामले दर्ज करना और सोशल मीडिया पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर अंकुश लगाने का प्रयास करना जरूरी मानवाधिकार सिद्धांतों के खिलाफ है।
26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे किसान
किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। 26 जनवरी को लाल किले की हिंसा के बाद कमजोर पड़े आंदोलन को किसान संगठन फिर से तेज करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।
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